छठ महापर्व भी दिवाली की ही तरह कार्तिक माह में आता है. देश के कई हिंदी भाषी राज्यों में ये त्योहार मनाया जाता है. लेकिन बिहार और उत्तरप्रदेश में इसकी छठा देखने लायक होती है. चार दिन तक चलने वाले इस खास त्योहार पर सूर्य देव का पूजन किया जाता है. उन्हीं को अर्घ देकर त्योहार की शुरुआत होती है और उन्हीं के अर्घ के साथ त्योहार का समापन होता है. इस बार दिवाली की तरह ही छठ की तिथि को लेकर भी कंफ्यूजन है. ऐसे में आइए जानते हैं इसकी सही तारीख और मुहूर्त.

इस साल कब है छठ का पर्व?

दिवाली की तिथि में जिस तरह इस बार कन्फ्यूजन था वैसा ही छठ के साथ भी है, जिसे दूर करने के लिए हिंदू पंचांग की तिथि को समझा जा सकता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की छठ पर ही छठ का पर्व मनाया जाता है. इस साल ये तिथि 7 नवंबर को होगी.जो सुबह 12 बजकर 41 मिनट से शुरू होगई और अगले दिन यानी 8 तारीख की सुबह 12 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी. इस हिसाब छठ की मुख्य पूजा 7 नवंबर को की ज

नहाय खाय कब है?

छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाए के साथ होती है. इसी दिन से छठ की शुरुआत मानी जाती है. इस दिन छठ पर्व मनाने वाले सबसे पहले अपने घर के बर्तनों की पूरी साफ सफाई करते हैं. उसके बाद घर को स्वच्छ करने का काम शुरू होता है. जो लोग छठ का व्रत रखते हैं वो सारे नियमों को फॉलो करना शुरू कर देते हैं. वो अपने घर के लोगों से अलग हो जाते हैं और उनके बर्तन भी अलग कर दिए जाते हैं. चार दिन तक वो कठिन व्रत करते हैं. इस व्रत की नॉर्मल ड्यूरेशन ही 36 घंटे की मानी जाती है. अधिकांशतः ये व्रत महिलाएं करती हैं. कई जगह पुरुष भी इस व्रत को करते हैं.

खरना कब हो?

नहाय खाए के बाद व्रत का अगला दिन होता है खरना. ये दिन इस साल बुधवार को है तारीख होगी 6 नवंबर 2024. इस दिन की खासियत होती है गुड़ से बनी खीर. इसी खीर को खरना के प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. खरना के बाद से ही निर्जला व्रत शुरू कर दिया जाता है. इस खीर को बनाने के लिए भी खास इंतजाम होते हैं. एक चूल्हे में आम की लकड़ी जलाने के बाद उस की अग्नि में ये खीर तैयार की जाती है.

शाम के अर्घ का समय

शाम के समय सही मुहूर्त पर सूर्य को अर्घ देना इस पर्व में बहुत खास माना जाता है. शुक्रवार की शाम को यानी कि सात नवंबर 2024 की शाम सूर्य को अर्घ दिया जाएगा. इस का शुभ समय है 5 बजकर 29 मिनट माना जा रहा है. इस समय सूर्यास्त होगा, तब सूर्य देव को शाम का अर्घ दिया जाएगा. अर्घ के साथ ही सूर्य देव को ठेकुआ, मिठाई, चावल और गन्ने के साथ ही पुष्प अर्पित किए जाते हैं.

सुबह के अर्घ का दिन और समय

सुबह के अर्घ का दिन छठ पूजा का अंतिम दिन होता है. इस साल 8 नवंबर को ये शुभ दिन पड़ रहा है. सुबह के 6 बजकर 37 मिनट का समय इस के लिए उत्तम माना जा रहा है. इस अर्घ के साथ व्रती महिलाओं का 36 घंटे का व्रत पूरा होगा. और, फिर प्रसाद का वितरण होगा.

क्यों मनाया जाता है छठ का पर्व?

छठ से जुड़ी कई किंवदंतियां और कहानियां प्रचलित हैं. ऐसी ही एक मान्यता जुड़ी है प्रियव्रत नाम के राजा के साथ. कहा जाता है कि प्राचीन काल में प्रियव्रत नाम का एक राजा हुआ करता था. जो एक संतान पाने के लिए व्याकुल था. संतान प्राप्ति के लिए राजा ने कई जतन, पूजा पाठ सब किए लेकिन उनके घर बच्चे का जन्म नहीं हुआ. सब और से निराश होकर राजन एक बार महर्षि कश्यप के पास गए. परेशान राजा को महर्षि कश्यप ने पुत्रयेष्टि यज्ञ कराने की सलाह दी. राजा ने उस सलाह का पालन किया और सही समय निकाल कर यज्ञ करवाया. यज्ञ का राजा को फल भी मिला और उन्हें संतान की प्राप्ति भी हुई. लेकिन उन के दुख की कोई सीमा न रही. ये जानकर कि जो संतान उन के घर में जन्मी है वो मृत है.

ये खबर आग की तरह पूरे साम्राज्य में फैल गई और राजा के साथ प्रजा भी शोकाकुल हो गई. राजा अपनी मृत संतान को नियमानुसार दफनाने जा रहे थे. कहते हैं उसी समय वहां एक विमान आया. उस विमान पर षष्ठी मैया सवार थीं. राजा से उन्होंने दुख का कारण पूछा, षष्ठी मैया को राजा ने बताया कि उनके घर जिस संतान का जन्म हुआ वो मरी हुई थी. षष्ठी देवी ने कहा कि वो पूरे संसार में जन्में बच्चों की रक्षा करती हैं. ये कहते हुए उन्होंने राजा की मृत संतान को स्पर्श किया. उन के चमत्कारी स्पर्श मात्र से राजा का मृत पुत्र जीवित हो गया. उस दिन के बाद से षष्ठी मैया का पूजन होने लगा. उन्हें ही छठ मैया कह कर पुकारा जाता है. और, पूजन किया जाता है.