यहां समझें,डोनाल्ड ट्रंप की जीत भारत के लिए कैसे गुड न्यूज साबित हो सकती है?

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    अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ रहे हैं. अभी तक आए  रुझानों में डोनाल्ड ट्रंप कमला हैरिस से काफी आगे चल रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर भारत भी नजर बनाए हुए है. अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चाहे इस चुनाव के नतीजे कुछ भी हों लेकिन हमारे रिश्ते बेहतर ही होंगे. अभी तक के रुझानों के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप जीत के करीब पहुंचते दिख रहे हैं. अगर डोनाल्ड ट्रंप जीते तो इसका भारत पर असर पड़ेगा, वो असर कैसा होगा उसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

      1. अमेरिका में अगर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर राष्ट्रपति चुने गए तो इसका फायदा भारत को भी होगा. विशेषज्ञों के अनुसार ट्रंप की जीत से भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को फायदा हो सकता है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू खपत पर निर्भर करती है. इसके अलावा वस्तुओं की कम कीमतों,सप्लाई चेन में बदलाव और विदेशी संबंधों से भी भारत को फायदा होने के आसार हैं.
      2. व्यापार के लिहाज से देखें, तो डोनाल्ड ट्रंप अगर चुनाव जीतते हैं, तो भारतीय मंझोली आईटी कंपनियों के लिए नए रास्ते खुल सकते हैं. खासतौर पर अगर ट्रंप व्यापार के मामले में चीन के Most Favored Nation का दर्जा खत्म कर दें. ट्रंप कई बार प्रधानमंत्री मोदी की सार्वजनिक तौर पर तारीफ कर चुके हैं और उन्हें अपना अच्छा दोस्त बता चुके हैं. उधर, 2020 के अमेरिकी चुनावों से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने स्लोगन दिया था ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’. ये अलग बात है कि ट्रंप वो चुनाव हार गए, लेकिन दोनों नेताओं की दोस्ती बनी रही. अब देखना है कि ये दोस्ती क्या भारत के लिए भी मुफीद साबित होगी.
      3. अंतरराष्ट्रीय मामलों की बात करें, तो रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर ट्रंप बार-बार कह चुके हैं कि वो जीते तो युद्ध रुकवा देंगे. अगर किसी भी तरह से ऐसा हो गया, तो ये भारत के लिए भी बेहतर रहेगा. प्रधानमंत्री मोदी कई मंचों पर कह ही चुके हैं कि ये युद्ध का समय नहीं है. यानी ट्रंप के जीतने के बाद भारत को कई अतंरराष्ट्रीय मंचों पर अमेरिका जैसे सबसे शक्तिशाली देश का साथ मिलने से उसकी स्थिति और ज्यादा मजबूत होगी.
      4. कई जानकार मानते हैं कि जो बाइडेन के दौर के मुकाबले ट्रंप के दौर में भारत के अंदरूनी मामलों में दखल कम रहेगा. बाइडेन सरकार में हमने देखा था कि भ्रष्टाचार के आरोप में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका के विदेश विभाग ने टिप्पणी की थी. भारत ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था. ट्रंप के दौर में ऐसा होने की संभावना काफी कम दिखती है.
    1. कुछ जानकार मानते हैं कि इस मामले में इतनी उम्मीद भी ठीक नहीं है. ट्रंप टैरिफ के मामले में कई बार भारत की आलोचना कर चुके हैं. मई 2019 में वो भारत को टैरिफ किंग बता चुके हैं. उन्होंने कहा है कि भारत अमेरिकी कंपनियों को अपने मार्केट में उचित पहुंच नहीं देता. इस सिलसिले में कई बार वो हार्ले डेविडसन का हवाला दे चुके हैं. राष्ट्रपति रहते उन्होंने भारतीय स्टील और एल्युमिनियम प्रोडक्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी भी बढ़ा दिया था.
    2. अमेरिका के इन चुनावों में करीब 24 करोड़ 40 लाख मतदाता हैं. खास बात ये है कि करीब एक-तिहाई से कुछ कम यानी 7 करोड़ 40 लाख मतदाता अर्ली या एडवांस वोटिंग के तहत पहले ही मतदान कर चुके हैं. 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिका के मतदाताओं में से दो-तिहाई ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. इस बार एक-तिहाई मतदाता अर्ली वोटिंग में ही अपने वोट डाल चुके हैं

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