12 साल के बाद भारत का सबसे बड़ा महाकुंभ एक बार फिर लगने वाला है, जो इस बार प्रयागराज, उत्तर प्रदेश (Prayagraj, UP) में लगने वाला है. बता दें कि भारतीय संस्कृति में कुंभ मेला का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है, जो हर 12 साल में एक विशेष स्थान पर आयोजित किया जाता है, जिसमें चार प्रमुख स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक शामिल है. कहते हैं कि महाकुंभ के मेले में स्नान (Mahakumbh Snan) करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और साधकों के सभी पाप खत्म हो जाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि महाकुंभ हर 12 साल के अंतराल में ही क्यों लगता है और इसके पीछे की मान्यता और महत्व (Mahakumbh significance) क्या है? तो चलिए आज आपकी इस कंफ्यूजन को दूर करते हैं और आपको बताते हैं कि 12 साल के अंतराल में ही महाकुंभ क्यों लगता है.महाकुंभ 2025 तिथि
सबसे पहले बात करते हैं महाकुंभ 2025 की, तो इस बार पौष पूर्णिमा यानी कि 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ शुरू होने वाला है. वहीं, 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर इसका समापन होगा. महाकुंभ के दौरान पूरी दुनिया से लोग इस मेले में शिरकत करने पहुंचते हैं, इस मेले की लोकप्रियता को देखते हुए यूनेस्को ने कुंभ को मानव की अमृत सांस्कृतिक विरासत की विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दी है.महाकुंभ 2025 तिथि
सबसे पहले बात करते हैं महाकुंभ 2025 की, तो इस बार पौष पूर्णिमा यानी कि 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ शुरू होने वाला है. वहीं, 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर इसका समापन होगा. महाकुंभ के दौरान पूरी दुनिया से लोग इस मेले में शिरकत करने पहुंचते हैं, इस मेले की लोकप्रियता को देखते हुए यूनेस्को ने कुंभ को मानव की अमृत सांस्कृतिक विरासत की विश्व धरोहर के रूप में मान्यता दी है.13 जनवरी 2025, पौष पूर्णिमा- पहला शाही स्नान
14 जनवरी 2025, मकर संक्रांति- दूसरा शाही स्नान
29 जनवरी 2025, मौनी अमावस्या- तीसरा शाही स्नान
3 फरवरी 2025, बसंत पंचमी- चौथ शाही स्नान
12 फरवरी 2025, माघ पूर्णिमा- पांचवा शाही स्नान
26 फरवरी 2025, महाशिवरात्रि- छठवां और आखिरी शाही स्नान