अब एक व्यक्ति अपने बैंक खाते में चार लोगों को नॉमिनी बना सकता है. दरअसल, मंगलवार को लोकसभा में पारित बैंककारी विधियां (संशोधित) विधेयक, 2024 का प्रावधान है. इस प्रावधान के बाद सिर्फ बैंक खाते ही नहीं बल्कि बैंकों में रखे गए लॉकरों या फिर अन्य बैंकिंग सुविधाओं के लिए भी ग्राहक चार लोगों को नॉमिनी बना सकेंगे.

बैंकिंग व्यवस्था में गवर्नेंस मजबूत करने के लिए किया गया संशोधन

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य देश की बैंकिंग व्यवस्था में गवर्नेंस को मजबूत करना और आम ग्राहकों को अच्छी सेवा प्रदान करना है. इस विधेयक में बैंकों के प्रबंधन को अधिकार देने की भी व्यवस्था की गई है. उदाहरण के तौर पर अब बैंक अपने ऑडिटरों की फीस आदि का फैसला अपने स्तर पर ही कर सकेंगे.

बजट के दौरान विधेयक पेश करने की घोषणा की थी

बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में बजट के दौरान इस विधेयक को पेश करने की घोषणा की थी. इसके जरिए सरकार ने एक साथ आरबीआई अधिनियम 1934, बैंकिंग नियमन कानून 1949, एसबीआई अधिनियम 1955, बैंकिंग कंपनीज अधिनियमन 1970-1980 के कई प्रावधानों में संशोधन किया है.

फिलहाल एक व्यक्ति को ही बना सकते हैं नॉमिनी

मौजूदा नियम के अनुसार बैंक खातों में केवल एक व्यक्ति को ही नॉमिनी बनाया जा सकता है लेकिन कोविड के वक्त में कई लोगों की हुई मौत के बाद बैंकों के सामने कई तरह के कानूनी विवाद आए हैं, जिनमें एक ही खाते पर कई लोगों ने अपना दावा पेश किया है. इसके बाद समझा गया कि खाताधारक को अपनी मर्जी से खाते में जमा राशि अपने प्रियजनों में बांटने का अधिकार देना चाहिए.

किसे कितना हिस्सा देना है? ये भी तय कर सकेंगे खाताधारक

इतना ही नहीं बैंक खाताधारक यह भी तय कर सकता है कि उसके द्वारा नामित लोगों को इसमें से कितना-कितना हिस्सा देना है. इससे बैंक में जमा धन के बंटवारे का काम भी आसानी से हो सकेगा. संशोधन के जरिए सरकार ने देश के सहकारी बैंकों के प्रबंधन को लेकर भी किए जाने वाले बदलावों के लिए रास्ता साफ कर दिया है. सहकारी बैंकों के निदेशकों के काम करने की अवधि को 8 सालों से बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है. केंद्रीय सहकारी बैंकों के निदेशकों के राज्य सहकारी बैंकों के निदेशक बोर्ड का सदस्य बनने की भी स्वीकृति प्रदान की गई है.

बैंकों को अधिक स्वतंत्रता देने का भी प्रावधान

बैंकिंग संशोधन विधेयक में वैधानिक लेखा परीक्षकों का पारिश्रमिक तय करने में बैंकों को अधिक स्वतंत्रता देने का भी प्रावधान किया गया है. इसमें नियामकीय अनुपालन के लिए बैंकों को वित्तीय आंकड़ों की सूचना देने की तिथियों को बदलकर हर महीने की 15वीं और आखिरी तारीख करने की बात कही गई है. मौजूदा समय में बैंकों को हर महीने के दूसरे और चौथे शुक्रवार को यह सूचना भेजनी होती है.