देश को आगे बढ़ाने के लिए नागरिकों का सही मायने में शिक्षित होना बेहद जरूरी है. लेकिन क्या नागरिकों को क्वालिटी एजुकेशन, सिर्फ प्राइवेटाइजेशन और फाइनेंशियल इनसेंटिव के जरिए दी जा सकती है? कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का कहना है कि क्वालिटी एजुकेशन प्राइवेटाइजेशन और फाइनेंशियल इनसेंटिव के जरिए हासिल नहीं की जा सकती है. उन्होंने सरकारों द्वारा शिक्षा पर अधिक खर्च करने और सार्वजनिक संस्थानों को मजबूत करने के महत्व को बताते हुए ये बात कही. आईआईटी मद्रास के छात्रों के साथ हुई बातचीत में लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कई मुद्दों पर बात की, जिसमें शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए वह बदलाव भी शामिल थे, जो कांग्रेस शुरू करना चाहती है.
कैसे मिले बेहतर शिक्षा?
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि युवाओं के बेहतर भविष्य और भारत को वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाने के लिए यह जरूरी है कि देश की मौजूदा शिक्षा प्रणाली पर पुनर्विचार किया जाए तथा शिक्षा पर अधिक पैसा खर्च किया जाए. उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास के छात्रों के एक समूह के साथ बातचीत में यह भी कहा कि निजीकरण और वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल नहीं की जा सकती.
‘बातचीत केवल विचारों के बारे में नहीं थी…’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बातचीत का यह वीडियो विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर साझा किया. राहुल गांधी ने अपने यूट्यूब चैनल पर यह वीडियो पोस्ट कर कहा, ‘मुझे हाल ही में आईआईटी मद्रास के कुछ प्रतिभाशाली युवाओं से बात करने का सौभाग्य मिला. साथ में, हमने जानने का प्रयास किया कि सफलता का वास्तव में क्या मतलब है.’ उन्होंने कहा, ‘हमने भारत के भविष्य को आकार देने में अनुसंधान और शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका तथा एक ऐसे उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर चर्चा की जो निष्पक्षता, नवाचार और सभी के लिए अवसर को महत्व देता है.’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘यह बातचीत केवल विचारों के बारे में नहीं थी, यह समझने के बारे में भी थी कि हम भारत को विश्व मंच पर समानता और प्रगति की शक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए कैसे मिलकर काम कर सकते हैं. उनके विचारशील प्रश्नों और ताज़ा दृष्टिकोण ने इसे वास्तव में प्रेरणादायक बातचीत बना दिया.’
कांग्रेस और बीजेपी कैसे अलग?
राहुल गांधी से इस दौरान छात्रों ने पूछा कि कांग्रेस और बीजेपी अपने काम करने के तरीके के मामले में कैसे अलग हैं? इसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस और यूपीए आमतौर पर मानते हैं कि संसाधनों को और अधिक निष्पक्ष तरीके से बांटना चाहिए और विकास व्यापक और समावेशी होना चाहिए. उन्होंने कहा, बीजेपी विकास पर अधिक आक्रामक है. वे आर्थिक दृष्टि से ‘ट्रिपल-डाउन’ में विश्वास करते हैं. सामाजिक मोर्चे पर, हम महसूस करते हैं कि समाज जितना अधिक सामंजस्यपूर्ण होगा, जितने कम लोग लड़ेंगे, देश के लिए उतना ही बेहतर होगा. अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मोर्चे पर, अन्य देशों के साथ हमारे संबंध के तरीके में संभवत: कुछ मतभेद हैं, लेकिन यह समान होगा.’ उच्च शिक्षा को कैसे बढ़ावा दिया जाए, इस पर उन्होंने कहा, किसी देश को अपने लोगों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गारंटी देने की जरूरत है.