परदेस जाने का, वहां तरक्की करने का, पैसे कमाने, ठाठ से जीने का सपना न जाने कितने लोगों का होगा. लेकिन ऐसे सपने को क़ानूनी रास्तों और अपनी मेहनत के ज़रिए ही पूरा किया जाना चाहिए, उन अंतरराष्ट्रीय दलालों के नेटवर्क के ज़रिए बिलकुल नहीं, जो लाखों लोगों से अरबों रुपए वसूल कर उन्हें उनके हाल पर किसी दूसरे देश में पछताने के लिए छोड़ देते हैं. ये सबक उन लोगों से बेहतर कौन समझ पाएगा जिन्हें आज अमेरिका ने अपने एक फौजी विमान में बिठाकर वापस भारत छोड़ दिया.
अमेरिका में टैक्सस के सैन एंटोनियो एयरपोर्ट से 104 अवैध आप्रवासी भारतीयों को लेकर अमेरिका का फौजी C-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट बुधवार दोपहर एक बजकर 55 मिनट पर अमृतसर के श्रीगुरू रामदास जी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरा. इन यात्रियों में से 30 पंजाब के हैं, 33 हरियाणा, 33 गुजरात, तीन-तीन महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश और दो चंडीगढ़ के हैं. अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद अवैध आप्रवासियों का ये पहला जत्था भारत पहुंचा है. डोनाल्ड ट्रंप कई और देशों के अवैध आप्रवासियों को भी इसी तरह उनके देश पहुंचा रहे हैं. इन लोगों के भारत पहुंचने के बाद अब सरकारी अधिकारी उनके दस्तावेज़ों की जांच, ज़रूरी पूछताछ और मेडिकल जांच के बाद उन्हें वापस उनके राज्यों में उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था करेंगे. ये भी बताया गया कि संबंधित राज्य अपने लोगों को लाने के लिए विशेष बसें भेज रहे हैं. महाराष्ट्र और गुजरात के अवैध आप्रवासियों को विमान से उनके राज्य भेजा जाएगा. अमेरिका से वापस भेजे गए इन लोगों को लेने के लिए पंजाब के मंत्री और इन लोगों के कई रिश्तेदार एयरपोर्ट पर मौजूद थे. अमेरिका में बिना वैध काग़ज़ात के रह रहे भारतीयों को वापस लाने वाला ये पहला विमान नहीं होगा. अभी कई और ऐसे विमान भारत आ सकते हैं. ये सभी अमेरिका के फौजी विमान होंगे या नागरिक विमानों से भी उन्हें भेजा जाएगा, कहा नहीं जा सकता. लेकिन अमेरिका ने करीब 18 हजार ऐसे भारतीयों की पहचान की है, जो ग़ैर क़ानूनी तरीके से अमेरिका में रह रहे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि इस मामले में वही किया जाएगा जो सही है.
ऐसा नहीं है कि बिना वैध दस्तावेज़ों के रह रहे भारतीयों को अमेरिका ने पहली बार वापस भेजा हो. इससे पहले 2024 में भी बाइडेन प्रशासन के तहत एक हज़ार ऐसे भारतीयों को चार्टर और यात्री विमानों के ज़रिए अमेरिका वापस भारत भेज चुका है.
- अमेरिका का Immigration and Customs Enforcement (ICE) ऐसे मामलों में कार्रवाई करता है.
- साल 2018 से 2023 के बीच 5,477 भारतीयों को अमेरिका के Immigration and Customs Enforcement (ICE) ने भारत भेजा है.
- इनमें से सबसे ज़्यादा 2300 को 2020 में भारत भेजा गया.
- अमेरिका में बिना वैध दस्तावेज़ों के रह रहे लोग वहां की आबादी का क़रीब 3% हैं.
- वहां विदेश में पैदा हुई आबादी का क़रीब 22% हैं. ये एक बड़ा आंकड़ा है.
- पिछले ही साल अमेरिका ने दुनिया भर के 192 देशों के 2,71,000 अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेजा था.
- बीते साल नवंबर में अमेरिका में 14 लाख 40 हज़ार ग़ैर नागरिक थे. जिन्हें ICE डिपार्टमेंट वापस भेजने की तैयारी कर रहा है.
- इनमें सबसे अधिक होंडुरास, ग्वाटेमाला, अल सल्वाडोर और मैक्सिको के हैं.
- इन सभी देशों के दो-दो लाख नागरिक अवैध तौर पर अमेरिका में हैं.
- इस लिस्ट में चीन के 37,908 और भारत के 17,940 लोग हैं.
अमेरिका में बिना वैध दस्तावेज़ों के रहने वालों में सिर्फ़ भारतीय ही नहीं हैं. बल्कि दुनिया भर के देशों के लोग हैं जो अमेरिका की आर्थिक तरक्की की चमक से प्रभावित होकर वहां अपना भविष्य बनाने और एक अच्छी ज़िंदगी जीने के इरादे से वहां जाने की कोशिश करते हैं. ऐसा करने वाले लोग गाढ़ी मेहनत की कमाई लुटाने और कोई भी जोखिम उठाने को तैयार रहते हैं. ऐसे कई लोगों को तभी गिरफ़्तार कर लिया जाता है, जब वो अवैध तरीके से मैक्सिको या कनाडा की सीमा पार कर अमेरिका में घुसने की कोशिश कर रहे होते हैं. कई लोग जो अमेरिका में घुसने में कामयाब हो जाते हैं, उनका पता दस्तावेज़ों की पहचान के दौरान लगता है. अवैध आप्रवास किसी भी देश के लिए एक समस्या है. भारत का इस मामले में आधिकारिक रुख़ बिलकुल साफ़ रहा है.
बिना वैध दस्तावेज़ों के अमेरिका में रह रहे कई भारतीय लौट आए हैं, तो कई आने वाले दिनों में आएंगे. ये सिलसिला अभी लंबा चलेगा. जो लौट आएंगे वो खुशकिस्मत कहे जाएंगे क्योंकि ऐसे कई लोग भी हैं जो विदेश में बसने का सपना लेकर गए लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही दम तोड़ गए. कई जैसे तैसे पहुंचे तो उनकी दास्तान इतनी दर्दनाक होती है कि सुनने के बाद दूसरा कोई शायद जाने की सोचे भी नहीं. मोबाइल फ़ोन का ज़माना है, इसलिए ऐसी दर्दनाक दास्तानों की तस्वीरें सामने आ जाती हैं.
दलाल वसूलते हैं मोटी रकम
जैसे मध्य अमेरिकी देश पनामा के जंगलों की इन तस्वीरों को देखिए. जहां अमेरिका जाने का सपना लिए कई भारतीय ख़तरनाक रास्तों से गुज़र रहे हैं. इन रास्तों को डंकी रूट कहा जाता है. विदेश जाने का सपना रखने वाले ऐसे हज़ारों लोग उन दलालों के चंगुल में फंस जाते हैं जो विदेश में बसाने के बदले में मुंहमांगी क़ीमत वसूलते हैं. लोग अपने खेत, अन्य ज़मीन बेचकर 40 से 50 लाख रुपए तक इन दलालों को दे देते हैं. इसके बाद अवैध तौर पर अमेरिका और यूरोप के देशों में जाने के लिए वो ऐसे रास्तों से गुज़रते हैं, जैसे उन्होंने कभी सोचे तक नहीं. जैसे मैक्सिको के रास्ते अमेरिका जाने वाले लोग लेटिन अमेरिकी देशों या फिर मध्य अमेरिका के देशों तक हवाई मार्ग से पहुंच जाते हैं और उसके बाद उन्हें पनामा, कोस्टारिका, इक्वेडोर, बोलीविया या गुयाना जैसे देशों के ऐसे जंगलों से गुज़रना पड़ता है. जंगलों से गुज़रने वाला रास्ता थोड़ा सस्ता पड़ता है लेकिन उतना ही ज़्यादा ख़तरनाक भी. एक बार विदेशी ज़मीन पर पहुंचने के बाद ये लोग उन एजेंट्स के मोहताज हो जाते हैं जिन्हें पैसे देकर वो यहां तक पहुंचे. मानव तस्करी से जुड़े ये एजेंट इन लोगों को आगे नए-नए एजेंट्स के हवाले करते जाते हैं.
इन एजेंट्स को कथित तौर पर Donkers या मानव तस्कर कहा जाता है. अवैध आप्रवासियों से ये एजेंट अंधाधुंध पैसा वसूलते हैं. मूल सुविधाओं जैसे खाने-पीने के लिए भी बहुत पैसा मांगा जाता है. सीमा पर तैनात अधिकारियों से बचाने के लिए पैसा मांगा जाता है और फिर बहुत ही कठिन रास्तों से, जैसे जंगल, पहाड़, नदी, समुद्र वगैरह से होते हुए उन्हें आगे ले जाया जाता है. सांप और अन्य जंगली जानवरों का डर बना रहता है. पहाड़ से गिरने, दलदल में फंसने या पानी में डूबने का डर भी बना रहता है. कई बार तो उन्हें लंबे समय तक खाना या पानी नसीब नहीं होता. भूख, थकान से परेशान ये लोग इन दलालों के बंधक से हो जाते हैं. कई बार उन्हें कंटेनर्स या अन्य गाड़ियों में भेड़ बकरियों की तरह ठूंस कर आगे ले जाया जाता है. कई बार तो ऐसे लोगों को समुद्री रास्तों से अमानवीय परिस्थितियों में जहाज़ों में भरकर ले जाया जाता है और ऐसे कई जहाज़ कई बार बीच रास्ते में ही डूब भी जाते हैं.
जोखिम में डालते हैं जिंदगी
1996 में ही ऐसा एक सबसे बड़ा मामला सामने आया. जब 283 आप्रवासियों को ले जा रही एक नाव भूमध्य सागर में माल्टा के पास पलट गई. सभी की मौत हो गई. इनमें से अधिकतर पंजाब के लोग थे. ये सभी अवैध तरीके से भूमध्य सागर पार कर इटली जाने की कोशिश में थे. कई लोगों के तो रास्ते में मारे जाने का पता तक नहीं चलता. उनके परिवार के लोग बस इस आस में रहते हैं कि वो लौट आएंगे.
अमेरिका जाने के डंकी रूट
अमेरिका जाने के लिए सबसे बड़ा डंकी रूट किसी लेटिन अमेरिकी या मध्य अमेरिकी देश होकर जाता है. जैसे इक्वेडोर, बोलीविया या गुयाना. इन देशों में जाना भारतीयों के लिए वीज़ा फ्री है. कुछ अन्य देश जैसे ब्राज़ील या वेनेज़ुएला भारतीय लोगों को टूरिस्ट वीज़ा आसानी से दे देते हैं. हाल में ये देखने में आया है कि अवैध तरीके से अमेरिका जाने की इच्छा रखने वाले कई भारतीय पहले यूरोप जाते हैं और फिर वहां से मैक्सिको की उड़ान लेते हैं. मैक्सिको से अवैध तरीके से सीमा पारकर अमेरिका जाने की कोशिश करते हैं. मैक्सिको के साथ अमेरिकी की सीमा 3 हज़ार किलोमीटर से ज़्यादा लंबी है. अगर कुछ लोग अपने गंतव्य तक पहुंच भी जाते हैं तो शोषण और अपराध के एक ऐसे कुचक्र में फंस जाते हैं कि उससे निकल नहीं पाते. गिरफ़्तारी और देश वापस भेजे जाने के डर से वो इसकी शिकायत करने से भी बचते हैं.