केंद्र सरकार ने ऐसा कोई आंकड़ा नहीं दिया है, जिससे पता चल सके कि देश में आईआईएम, एम्स, आईआईटी, एनआईटी और अन्य विश्वविद्यालयों में जातिगत प्रताड़ना से तंग आकर कितने बच्चों ने आत्म हत्या की है. दरअसल लोकसभा बिहार के गोपालगंज के जेडीयू सांसद ने सरकार से जानना चाहा था कि एससी-एसटी के कितने छात्रों ने इन केंद्रीय संस्थानों में जातिगत प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या की है. उन्होंने यह भी जानना चाहा था कि केंद्र सरकार ने इन संस्थानों में जाति के आधार पर उत्पीड़न रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं.