पाकिस्तान में 29 साल बाद आईसीसी टूर्नामेंट का आयोजन हो रहा है. पूरे देश को इसका जश्न मनाना चाहिए… ये शब्द हैं पाकिस्तान के कप्तान मोहम्मद रिजवान के, जो मंगलवार को पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच मुकाबले की पूर्व संध्या पर मीडिया के सामने आए. पाकिस्तान इस बार आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी कर रहा है. यह टूर्नामेंट हाइब्रिड मॉडल में हो रहा है, क्योंकि भारतीय टीम ने सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान की यात्रा करने से इंकार कर दिया है. इस टूर्नामेंट की शुरुआत से पहले ही फैंस को अनिश्चितता, नाटकीयता और पर्दे के पीछे की सरगर्मियां देखने को मिली. लेकिन अब फैंस को अगले तीन सप्ताह तक पूरा रोमांच देखने को मिलेगा.विश्व कप के समान कठिन माने जाने वाले इस टूर्नामेंट में आठ टीमें खिताब के लिए जोर आजमाइश करेंगी और अपने क्रिकेट इतिहास का सुनहरा अध्याय लिखने की कोशिश में होंगी. आठ साल बाद हो रहे इस टूर्नामेंट के आयोजन में कई परेशानियां आई. वनडे क्रिकेट की प्रासंगिकता पर चल रही बहस के बीच इस टूर्नामेंट की अहमियत को स्थापित करना भी एक चुनौती थी. टी20 क्रिकेट की लोकप्रियता और टेस्ट प्रारूप के लिए प्रतिबद्धता की जद्दोजहद में कहीं न कहीं इसके लिये जगह बनाना विकट था.शायद ही किसी क्रिकेट आयोजन में इतना भू राजनीतिक तनाव, दो अहम प्रतिभागियों के दो प्रशासनिक बोर्ड की जिद और मेजबान स्टेडियमों की तैयारियों को लेकर आशंकायें देखने को मिली हों. इससे नब्बे के दशक की यादें ताजा हो गई जब उपमहाद्वीप में क्रिकेट का आयोजन आनन फानन में की गई किसी पार्टी की तरह लगता था. लेकिन एक बार जब पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के कप्तान पहले मैच के टॉस के लिए उतरेंगे तो मैदान से बाहर की ये सारी बातें हाशिये पर चली जाएंगी