प्रयागराज में महाकुंभ में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान हुई भगदड़ के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट आज सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की डबल बेंच मामले में सुनवाई कर रही है. 19 जनवरी को हुई सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि हताहतों की संख्या आयोग की जांच में क्यों न शामिल हो. हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब तलब करते हुए पूछा था कि क्या न्यायिक आयोग की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकता है.याचिका में की गई ये मांगइलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव सुरेश चंद्र पांडेय द्वारा दाखिल की गई जनहित याचिका में लापता लोगों का पता लगाए जाने और भगदड़ में पीड़ितों की सही गिनती किए जाने समेत कई मांगे की गई है. जनहित याचिका में भगदड़ की जांच न्यायिक निगरानी में कराने और घटना के बाद लापता लोगों का सही ब्योरा देने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि ज्यूडिशियल कमीशन की जांच का दायरा बढ़ाकर इसमें हताहतों की संख्या की पहचान करने और भगदड़ से संबंधित अन्य शिकायतों पर गौर करने को शामिल किया जा सकता है या नहीं.मौत के आंकड़े पर विवादहाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस संदर्भ में 24 फरवरी तक जानकारी मांगी थी जिस पर आज सुनवाई होनी है. कोर्ट ने ये भी कहा था कि अब तक आयोग के कार्यक्षेत्र में भगदड़ के अन्य प्रासंगिक विवरणों की जांच शामिल नहीं है. पिछली सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने कोर्ट में कहा था कि कई मीडिया पोर्टल ने राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर बताई गई मौतों (30) की संख्या पर विवाद किया है. एडवोकेट सौरभ पांडेय ने विभिन्न समाचार पत्रों और पीयूसीएल की एक प्रेस विज्ञप्ति का भी हवाला देते हुए कहा था कि मृतकों के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भागने पर मजबूर होना पड़ रहा है