बदलते समय के साथ किसान भी परंपरागत खेती से हटकर नवाचार खेती कर रहे हैं. इससे न सिर्फ उन्हें तगड़ा मुनाफा हो रहा है, बल्कि समय की बचत भी हो रही है. आसानी से बिक्री के साथ ही तुरंत पैसा भी मिल जा रहा है. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के बेलखरा गांव में किसान ने धान और बाजरा की खेती को छोड़कर गोभी की खेती कर रहे हैं. साल में 2 बार गोभी की खेती किसान करते हैं, जहां आसानी से बिक्री भी हो रही है. कम लागत और मेहनत में किसान लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं.

बेलखरा के रहने वाले किसान गोविंद मौर्या ने लोकल18 से बातचीत में बताया कि वह लगभग 3 बीघा में सिजेंटा वैरायटी की गोभी लगाएं हैं. एक बीघा खेती करने में दवा से लेकर मजदूरी तक लगभग 50 हजार रुपए का खर्च आता है. वहीं, लगभग 2 लाख रुपए में बिक्री होती है. हालांकि, फसल का दाम बाजार पर निर्धारित रहता है. आसानी से वाराणसी, चंदौली और अहरौरा मंडी में बिक्री भी हो जाती है.

साल में दो बार होता है पैदावार
किसान गोविंद ने बताया कि सबसे पहले धान और बाजरा की खेती करते थे. उससे मुनाफा नहीं होता था. करीब 15 सालों से गोभी की खेती कर रहे हैं. साल में दो बार गोभी का पैदावार होती है. एक बार अगस्त और दूसरी बार नवंबर माह में खेती होती है. इस खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए भी परेशान नहीं होना पड़ता है.

किसानों के लिए फायदेमंद है खेती
वहीं, किसान पप्पू मौर्य ने बताया कि उन्होंने लगभग एक बीघा में गोभी की खेती किए हैं. यह खेती उभरे हुए जमीन पर की जाती है. ताकि खेतों में पानी ज्यादा देर तक नहीं रुक पाता है. बुआई के बाद रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जाता है. किसानों के लिए यह खेती फायदेमंद है.