इस बार महाराष्ट्र के विधान सभा चुनाव जिन दिग्गजों का सियासी भविष्य तय करने वाले हैं उनमें से एक हैं राज ठाकरे. बीते दस सालों से राज ठाकरे की पार्टी सिर्फ एक विधायक वाली पार्टी बनकर रह गयी है, लेकिन इस बार पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिये वे पूरी ताकत लगा रहे हैं. कभी मराठीवाद तो कभी हिंदुत्ववाद, कभी नरेंद्र मोदी का समर्थन तो कभी उनका विरोध, कभी उत्तर भारतीयों के खिलाफ जहर उगलना तो कभी किसी उत्तर भारतीय को पार्टी का महासचिव बना देना…राज ठाकरे की राजनीति सियासी पंडितों का सिर चकरा देती है. क्योंकि उनकी पार्टी का इंजन अक्सर पटरी बदलता रहा है. हमारी कोशिश है राज ठाकरे की इसी उलझी हुई राजनीति को सुलझा कर पेश करने की.
राज ठाकरे को बालासाहब के सियासी वारिस के तौर पर देखना तर्कहीन न था. राज ठाकरे न केवल बालासाहेब की तरह दिखते थे बल्कि उनके व्यकित्तव में बालासाहेब जैसी आक्रमकता थी, भाषण देने की शैली भी बिलकुल बालासाहेब की तरह थी. बालासाहेब की तरह ही राज ठाकरे भी कार्टूनिष्ट थे
कौन हैं राज ठाकरे
राज ठाकरे बालासाहब ठाकरे के भाई श्रीकांत ठाकरे के बेटे हैं. परिवार संगीतप्रेमी होने के कारण उनका नाम स्वरराज रखा गया जो कि सार्वजनिक जीवन में सिर्फ राज हो गया. अपने चाचा बालासाहब की तरह राज ठाकरे को भी कार्टून बनाने का शौक था लेकिन बचपन से ही घर में राजनीतिक माहौल होने के कारण उनका भी रूझान सियासत की तरफ हुआ और वे शिव सेना में सक्रिय हो
माइकल जैक्सन को बुलाकर विवादों में उलझे थे राज ठाकरे
बालासाहेब ठाकरे ने उन्हें शिव सेना की छात्र इकाई भारतीय विद्यार्थी सेना का अध्यक्ष बनाया. नब्बे के दशक के मध्य में उन्होने मराठी युवाओं को रोजगार दिलाने के मकसद से शिव उद्योग सेना की शुरूवात की. पार्टी की इस नयी इकाई की खातिर फंड जुटाने के लिये उन्होने कुछ ऐसा किया जिससे सभी चौंक गये. उन्होने प़ॉप स्टार माइकल जैक्सन को मुंबई के अंधेरी स्पोर्टस कॉम्प्लैक्स में एक शो आयोजित करने के लिये आमंत्रित किया. राज ठाकरे का ये फैसला शिव सेना की छवि से मेल नहीं खा रहा था. एक तरह शिव सेना पश्चिमी संस्कृति के विरोध के नाम पर वैलेंटाईइन डे मनाने वाले प्रेमी युगलों को पीटती थी तो दूसरी तरफ उसकी ओर से माइकल जैक्सन को बुलाया जाना बडा विरोधाभास था.
किणी कांड के तौर पर आया बड़ा तूफान
इस बीच राज ठाकरे के जीवन में एक तूफान आया जिसने कि उनके सियासी सफर की दिशा बदल दी. ये तूफान था किणी कांड की शक्ल में. रमेश किणी नाम के एक शख्स से राज ठाकरे का एक बिल्डर दोस्त दादर की हिंदू कॉलनी में घर खाली करने के लिये दबाव डाल रहा था…लेकिन किणी घर खाली करने को तैयार नहीं था. 23 जुलाई 1996 को पुणे के एक सिनेमाघर में उसकी लाश बरामद हुई. किणी की पत्नी शीला ने कहा कि उस दिन उन्हें सामना के कार्यालय में बुलाया गया था.