डॉक्टर सुनील कुमार ने बताया कि बार-बार स्मोकिंग करने की वजह से व्यक्ति के फेफड़ों के नली के लाइन में इंफ्लेमेशन हो जाता है. यानी नली में बहुत सारे बदलाव आते हैं जिस वजह से वह अति-संवेदनशील हो जाती है. इंफ्लेमेशन की वजह से बहुत ज्यादा इरिटेशन होने लगता है जिसके परिणामस्वरूप स्मोकर्स को खांसी होने लगती है. साफ शब्दों में कहें तो स्मोकिंग की वजह से सांस की नली में इरिटेशन होने लगती है जिसे काउंटर करने के लिए कुछ सिक्रीशन होता है जिसकी वजह से खांसी होना शुरू हो जाता है.

कितने समय में छूट जाती है सिगरेट की लत?

स्मोकिंग स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक माना जाता है. यह बात जानते हुए भी कई लोग तमाम कोशिशों के बावजूद भी स्मोकिंग नहीं छोड़ पाते हैं. एम्स के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर सुनील कुमार ने बताया कि सिगरेट की लत छोड़ने के लिए प्रोफेशनल मदद लेना स्मोकिंग छोड़ने की आपकी कोशिशों को सार्थक करने के लिए काफी जरूरी है. प्रोफेशनल्स सबसे पहले धीरे-धीरे स्मोकिंग की फ्रीक्वेंसी को कम करने की कोशिश करते हैं. इसके बाद उन्हें स्मोकिंग के कम हानिकारक अल्टरनेटिव ऑप्शन्स पर लाया जाता है. धीरे-धीरे इनकी भी आदत खत्म कर दी जाती है. डॉ. सुनील के मुताबिक, कुछ लोग पूरी तरह स्मोकिंग को छोड़ने में हफ्ते या महीनों का समय लेते हैं तो वहीं कुछ लोगों को धूम्रपान छोड़ने में सालों का समय भी लग जाता है.

लंग्‍स क्लीनिंग कैसे कराएं?

लंग्स प्लानिंग कब और कैसे कराना चाहिए के सवाल का जवाब देते हुए डॉक्टर सुनील कुमार ने बताया कि किसी केमिकल या स्पेशल ट्रीटमेंट के जरिए फेफड़ों को पूरी तरह साफ कर देने जैसा कोई भी कॉन्सेप्ट नहीं है. हालांकि, डीप ब्रीथिंग एक्सरसाइज के जरिए फेफड़ों को मजबूत बनाया जा सकता है. इसके अलावा पोषण से भरपूर संतुलित आहार लेकर आप अपनी इम्यूनिटी को मजबूत कर सकते हैं जिससे फेफड़ों के इंफेक्शन के खतरे को कम किया जा सकता है. इसके अलावा हेवी स्मोकर्स को गरम पानी का भाप लेने जैसे कुछ उपाय करने चाहिए जिससे बलगम ढीला हो कर बाहर निकल जाए. इससे सांस की नली और फेफड़े साफ रहते हैं और इंफेक्शन का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.