हाईकोर्ट ने केंद्र द्वारा पीएम केयर्स फंड के एक ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर केवल एक पेज का जवाब दाखिल किए जाने पर आपत्ति जताई जिसे संविधान के तहत ‘द स्टेट’ घोषित करने के लिए एक याचिका दायर की गई है। यह उल्लेख करते हुए कि प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति राहत निधि (पीएम केयर्स फंड) से संबंधित मुद्दा इतना आसान नहीं है, हाईकोर्ट ने केंद्र से मामले में विस्तृत और व्यापक जवाब दाखिल करने को कहा है।

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि आपने एक जवाब दायर किया है। इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर बस एक पेज का जवाब? इससे आगे कुछ नहीं? इतना महत्वपूर्ण मुद्दा और एक पेज का जवाब। आप एक और जवाब दाखिल करें। यह मुद्दा इतना आसान नहीं है। हम एक विस्तृत जवाब चाहते हैं।

केंद्र के वकील ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि उसी याचिकाकर्ता की इसी तरह की एक अन्य याचिका में पहले ही विस्तृत जवाब दाखिल किया जा चुका है।

चीफ जस्टिस ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि विद्वान सॉलिसिटर जनरल एक उचित विस्तृत जवाब दीजिए क्योंकि यह मामला निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा और हमें फैसला करना होगा तथा निर्णय देना होगा और उठाए गए सभी मुद्दों से निपटना होगा।

बेंच ने कहा कि चार सप्ताह में विस्तृत और व्यापक जवाब दाखिल किया जाए। इसके बाद दो सप्ताह में प्रत्युत्तर, यदि कोई हो, दाखिल किया जाए। मामले को 16 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

वरिष्ठ वकील श्याम दीवान के माध्यम से 2021 में दायर याचिका में याचिकाकर्ता सम्यक गंगवाल ने संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत पीएम केयर्स फंड को ‘द स्टेट’ घोषित करने और इसे समय-समय पर पीएम केयर्स वेबसाइट पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट का खुलासा करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है।

इसी याचिकाकर्ता द्वारा 2020 में दायर एक अन्य याचिका में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत पीएम केयर्स को सार्वजनिक प्राधिकरण घोषित करने का आग्रह किया गया था। यह याचिका भी अदालत में लंबित है।