शिवसेना ‘नाम’ और ‘चुनाव चिह्न’ की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया। उद्धव गुट के वकील ने चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए इस मामले पर सुनवाई की मांग की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने वकील को इस मामले को कल मेंशन करने के लिए कहा है।

हालांकि, उद्धव ठाकरे से पहले ही एकनाथ शिंदे गुट सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुका है। शिंदे गुट ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने के लिए उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष गुहार लगा सकता है। ऐसे में इस मामले में कोई भी फैसला सुनाने से पहले शीर्ष अदालत महाराष्ट्र सरकार की दलील को भी सुने।

चुनाव आयोग के फैसले के बाद उद्धव से पिता की बनाई पार्टी एक झटके में छिन गई। आयोग के इस फैसले के बाद उद्धव के पास सिर्फ तीन विकल्प ही बचे थे। इसमें पहले विकल्प के जरिए उन्होंने कोशिश भी शुरू कर दी है। मतलब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं। आइये जानते हैं उद्धव ठाकरे के विकल्पों के बारे में। साथ ही यह समझने की कोशिश करते हैं कि क्या उद्धव वापस शिवसेना को हासिल कर सकेंगे या नहीं?

 उद्धव गुट के पास पार्टी बचाने के क्या विकल्प?

1. न्यायालय की चौखट पर दस्तक देना: ये काम आज उद्धव गुट ने कर दिया। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। अब ये देखना होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है? कोर्ट इस मामले में दोनों गुटों के अलावा महाराष्ट्र सरकार, महाराष्ट्र राजभवन, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांग सकता है। इसके बाद ही तय होगा कि शिवसेना पर शिंदे गुट का कब्जा बरकरार रहेगा या उद्धव ठाकरे की वापसी होगी। यहां से भी अगर उद्धव गुट को झटका लगेगा तो उनके पास सिर्फ एक ही विकल्प रह जाएगा।
2. उद्धव के पास दूसरा विकल्प शिंदे गुट से समझौता करना: इसके लिए वह भावनात्मक रूख अख्तियार कर सकते हैं। पार्टी के नेताओं को वापस अपने पाले में करने के लिए पुरानी दुहाई दे सकते हैं। हालांकि, इसकी गुंजाइश भी कम ही दिखती है। अब शिंदे गुट नहीं चाहेगा कि शिवसेना की कमान वापस ठाकरे परिवार के पास जाए।