इंदौर के स्नेह नगर में पास पटेल नगर में स्थित बेलेश्लर महादेव मंदिर में जान गंवाने वाले 35 लोग रामनवमी का पर्व उत्साह से मनाने के लिए जुटे थे, उन्हें नहीं पता था कि यह जिंदगी की आखिरी रामनवमी होगी। लोग जिस फर्श पर बैठे थे उन्हें पता ही नहीं था कि उसके नीचे 100 साल से भी ज्यादा पुरानी 60 फीट गहरी बावड़ी है। जिसे सरियों के जाल और टाइल्स से ढंका गया है। आयोजन के दिन क्षमत से ज्यादा लोग इसी कमजोर निर्माण पर दरी बिछाकर बैठे और आहुति देते समय काल रुपी इसी बावड़ी में समा गए।
जानिए क्यों गईं इतनी जाने
हादसे में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है कि जिस वक्त लोग गिरे बावड़ी में पानी भरा था। फर्श के गिरते ही लोग जैसे ही बावड़ी के अंदर गिरे तो दूसरे लोग एक दूसरे के ऊपर गिरे वहीं साथ ही निर्माण में उपयोग किए गए लोहे के सरिए और मलबा लोगों के ऊपर गिर गया और वे घायल हो गए। पानी भरा होने के चलते राहत एवं बचाव कार्य में लगे जवानों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी हादसे के करीब छह घंटे बीत जाने के बाद बावड़ी का पानी खाली किया जा सका और लोगों को बाहर निकाला गया। वहीं, पानी के स्त्रोतों से लगातार पानी बावड़ी में भर जा रहा था, जिसके चलते राहत एवं बचाव कार्य के दौरान काफी दिक्कतों का सामना आर्मी के जवानों को करना पड़ा। काफी पुरानी बावड़ी होने के चलते इसमें सिल्ट भी जमा थी।
नगर निगम के रिकॉर्ड में नहीं है बावड़ी
बावड़ी को 100 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जा रहा है, वहीं, नगर निगम के रिकॉर्ड में शहर की 600 से ज्यादा बावड़िया शामिल हैं। लेकिन मंदिर की जिस बावड़ी में यह हादसा हुआ वह रिकॉर्ड में शामिल नहीं है।