अतीक पर गोलियां बरसाने वाले लवलेश तिवारी का अंदाज देखकर पुलिस हैरान है। वह इस संभावना को टटोल रही है कि शायद इसके लिए उसे प्रशिक्षित किया गया था। साधारण परिवार के लवलेश के हथियारों से लगाव की बात किसी ने नहीं बताई, लेकिन वारदात के दौरान उसने शातिर शूटर की तरह गोलियां चलाईं।
प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल के पास शनिवार की रात पुलिस कस्टडी में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोलियां बरसाकर हत्या कर दी। हमलावरों ने वारदात के बाद सरेंडर कर दिया। हमलावरों की पहचान सनी, अरुण और लवलेश तिवारी के रूप में हुई। तीनों हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी की।
अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को महज 18 सेकंड के भीतर मौत की नींद सुला दिया। शूटरों ने दोनों के पुलिस जीप से उतरने के 32वें सेकंड में पहली गोली दागी। इसके बाद लगातार कुल 20 गोलियां दागीं और 50वें सेकंड तक माफिया भाइयों का काम तमाम हो चुका था।
वहीं, अतीक पर गोलियां बरसाने वाले लवलेश तिवारी का अंदाज देखकर पुलिस हैरान है। वह इस संभावना को टटोल रही है कि शायद इसके लिए उसे प्रशिक्षित किया गया था। साधारण परिवार के लवलेश के हथियारों से लगाव की बात किसी ने नहीं बताई, लेकिन वारदात के दौरान उसने शातिर शूटर की तरह गोलियां चलाईं।
उसके हाथ में जो पिस्टल थी, उसकी कीमत लगभग आठ लाख रुपये बताई गई है। इतने कीमती हथियार तक साधारण परिवार के लवलेश की पहुंच भी पुलिस के लिए पहेली बनी हुई है। फिलहाल जांच की जा रही है।
लवलेश का हमसे लेना-देना नहीं था-पिता
दूसरी ओर, अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या में रोजाना चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। नया खुलासा यह है कि देश भर में चर्चित इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले शूटरों के पास मोबाइल तक नहीं था। पुलिस को उनके पास से कोई मोबाइल नहीं मिला है। सवाल यह है कि आखिर मोबाइल नहीं होने के बावजूद उन्हें माफिया भाइयों की लोकेशन आखिर कैसे मिली।
पुलिस ने तीनों शूटरों से जो बरामदगी दिखाई है, उनमें तीन पिस्टल हैं। मोबाइल के संंबंध में कोई जिक्र नहीं है। सवाल यह है कि आखिर यह कैसे हो सकता है कि कासगंज, बांदा और हमीरपुर जनपदों के रहने वाले शूटरों के पास मोबाइल न हो। वह बिना मोबाइल के प्रयागराज आए हों, इसकी भी संभावना न के बराबर है।
प्रयागराज से उनका कोई कनेक्शन कभी नहीं रहा, यह बात तीनों के घरवाले भी बता चुके हैं। यह भी बताया कि तीनों कभी प्रयागराज नहीं गए। ऐसे में तीनों के यहां बिना मोबाइल के आने की बात गले नहीं उतरती। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर उनके पास मोबाइल फोन नहीं था, तो उन्हें कैसे पता चला कि अतीक व अशरफ कॉल्विन अस्पताल पहुंचने वाले हैं।