पाकिस्तान में राजनीति कितने नीचे स्तर तक जा सकती है इसकी बानगी रविवार को दिखी। अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कोई कुछ भी करने को उतारू है। एक तरफ इमरान खान ने राष्ट्रपति से मुलाकात करके पाक एसेंबली को भंग करवा दिया और अविश्वास प्रस्ताव से फौरी तौर पर अपने कुर्सी छिनने से बचा ली। तो दूसरी ओर विपक्षी दलों के नेताओं ने अपनी हसरत पूरा करने के लिए संसद पर कब्जा कर लिया और अपने दल के नेता और पूर्व पीएम नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ को पाकिस्तान का नया वजीर-ए-आजम तक घोषित कर दिया।

रविवार को अविश्वास प्रस्ताव खारिज होते ही राष्ट्रपति का पाक एसेंबली भंग करने का फैसला विपक्षी दल के नेताओं को इतना नागरवार गुजरा कि उन्होंने संसद पर ही कब्जा कर लिया। इतना ही नहीं फिर से एसेंबली शुरू कर दी। स्पीकर की कुर्सी पर अयाज सादिक को बैठाकर सदन की कार्यवाही शुरू कर दी। अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के डिप्टी स्पीकर के आदेश को न केवल अमान्य घोषित किया, बल्कि शहबाज शरीफ को नया प्रधान मंत्री भी घोषित कर दिया।

पीएम बनने के बाद शहबाज ने एसेंबली को संबोधित भी किया

दुनिया के सामने अपना मखौल उड़ाने वालों में सिर्फ इमरान खान ही आगे नहीं है। रविवार को विपक्षी दलों के नेताओं ने भी साबित कर दिया कि इस मामले में वे इमरान खान को कड़ी टक्कर देते हैं। एसेंबली भंग हो जाने के बावजूद विपक्षी दलों की कार्यवाही में पीएम बन चुके शहबाज शरीफ ने नए प्रधानमंत्री के तौर पर सदन को संबोधित भी किया। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नेता शेरी रहमान ने एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें उन्होंने दावा किया कि 197 सदस्यों ने पीएमएल-एन के सांसद अयाज सादिक को नया स्पीकर चुन लिया है।

अभी कार्यवाहक पीएम बने रहेंगे इमरान खान

इमरान के निवर्तमान मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि इमरान खान संविधान के अनुच्छेद 224 के तहत अपने कर्तव्यों को जारी रखेंगे, जो चुनाव और उपचुनाव से संबंधित है। हुसैन ने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री संविधान के अनुच्छेद 224 के तहत अपने कर्तव्यों को जारी रखेंगे। मंत्रिमंडल भंग कर दिया गया है।”

राजनीतिक उथल-पुथल का सेना से मतलब नहीं

एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पाक सैन्य प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार ने कहा, ‘आज नेशनल एसेंबली में जो कुछ हुआ, उससे सेना का कोई लेना-देना नहीं है।’ शक्तिशाली पाकिस्तानी सेना, जिसने अपने 73 साल के अधिक साल के अस्तित्व वाले देश में आधे से अधइक समय तक तख्तापलट की आशंका वाले देश शासन किया है। पाकिस्तानी सेना की ओर से वहां की सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में उसका सीधा हस्तक्षेप रहा है।