सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) में ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ बड़ी बगावत हो गई है। उनकी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महेन्द्र राजभर ने सोमवार को दर्जनों पदाधिकारियों के साथ पार्टी की सदस्यता छोड़ दी। उन्होंने ओमप्रकाश राजभर पार्टी के मिशन से भटक जाने का आरोप लगाया।
जबकि महेन्द्र राजभर की बगावत पर प्रतिक्रिया देते हुए सुभासपा नेता अरुण राजभर ने एक निजी चैनल से कहा कि सुभासपा एक प्रयोगशाला की तरह है। यहां सीखने के बाद जब लोगों को बड़ी डिग्री लेने की आकांक्षा जागती है तो इस तरह की बातें सामने आती हैं। उन्होंने कहा कि महेन्द्र राजभर काफी समय से पार्टी में हैं। आज अचानक से क्या हो गया? हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सुभासपा कार्यकर्ताओं का सम्मान करते है। उन्हें भी मनाने की कोशिश की जाएगी।
उधर, मऊ के एक प्लाजा में पत्रकारों से बातचीत में महेन्द्र राजभर ने आरोप लगाया कि सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ऐन केन प्रकारेण सिर्फ धन बटोरने के चक्कर में लगे रहते हैं। उन्होंने कहा कि 20 साल पहले 27 अक्टूबर 2002 को सबकी मौजूदगी में पार्टी की स्थापना की गई थी।
उस समय पार्टी का मिशन गरीब, दलित, मजदूर और वंचित समाज का उत्थान रखा गया था जबकि उसके बाद से कार्यकर्ताओं के खून-पसीने से बनी पार्टी का इस्तेमाल उन्होंने केवल धन बटोरने के लिए किया। उनकी इस सियासत से आहत होकर प्रदेश महासचिव अर्जुन चौहान, प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ.अवधेश राजभर सहित दर्जनों साथियों सहित सुभासपा की सदस्यता छोड़ने का निर्णय लिया है।