पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को कोर्टी की अवमानना मामले में जमानत मिल गई है। वह सोमवार को स्वयं पेश होने के लिए कोर्ट पहुंचे थे। खान ने कहा कि वह अदालत का सम्मान करते हैं। वह शाम करीब साढ़े पांच बजे लाहौर हाईकोर्ट में पेश हुए। कुछ देर तक सुनवाई करने के बाद लाहौर की अदालत ने खान को जमानत दे दी। इससे पहले कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था, जिससे उनके जेल जाने का खतरा बढ़ गया था। उनकी गिरफ्तारी के लिए चार सदस्यीय टीम बनाई गई थी।

दरअसल पाकिस्तान की एक आतंकवाद रोधी अदालत ने निर्वाचन आयोग के बाहर विरोध प्रदर्शन से जुड़े एक मामले की सुनवाई में शामिल होने में विफल रहने पर देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जमानत बुधवार को खारिज कर दिया था। इस फैसले के बाद खान की गिरफ्तारी होने की आशंका थी। इसके बाद इमरान खान सोमवार को स्यवं कोर्ट में जाकर पेश हुए। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं ने पिछले साल प्रतिबंधित वित्तपोषण मामले में पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग (ईसीपी) द्वारा खान को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद विरोध प्रदर्शन किया था। पिछले साल अक्टूबर में पुलिस ने आतंकवाद रोधी कानूनों के तहत एक मामला शुरू किया था और मामले में पूर्व प्रधानमंत्री अंतरिम जमानत पर थे।

यह था मामला

बुधवार को इस्लामाबाद में आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) के न्यायाधीश राजा जवाद अब्बास ने टिप्पणी की कि खान को अदालत में पेश होने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था, लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहे। वहीं खान के वकील बाबर अवान ने अपनी दलीलों में अदालत से आग्रह किया कि खान को व्यक्तिगत रूप से पेशी से एक बार की छूट दी जाए, क्योंकि खान पिछले साल के हमले के बाद से अभी तक पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाये हैं। न्यायाधीश ने याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और यह कहते हुए खान को पेश होने का आदेश दिया कि अदालत खान जैसे “शक्तिशाली व्यक्ति” को ऐसी कोई राहत नहीं दे सकती है जो एक आम व्यक्ति को नहीं दी जाती है। अंतत:, न्यायाधीश ने अंतरिम जमानत बढ़ाने से इनकार कर दिया।

कोर्ट ने कहा था कि अगर वह बीमार हैं तो उन्हें एंबुलेंस से लेकर कोर्ट लाओ। वहीं, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने एक बैंकिंग अदालत को पीटीआई के खिलाफ प्रतिबंधित वित्तपोषण संबंधी संघीय जांच एजेंसी के मामले में खान की जमानत याचिका पर कोई निर्देश पारित करने से रोक दिया। पिछले साल ईसीपी ने पीटीआई के खिलाफ वित्तपोषण मामले में फैसला सुनाया था कि पार्टी को प्रतिबंधित वित्तपोषण मिला था। बाद में, संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने खान और पार्टी के अन्य नेताओं के खिलाफ पीटीआई खाते के हस्ताक्षरकर्ता/लाभार्थियों के रूप में मामला दर्ज किया था, जहां धन जमा किया गया था।