सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वकीलों से कहा, आप किसी की भी आलोचना करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन जहां तक मामलों को सूचीबद्ध करने का संबंध है, उसके लिए नियमों के अनुसार चलना होगा। शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी तमिलनाडु में नौकरी के बदले नोट घोटाले से जुड़े मामले को सूचीबद्ध करने को लेकर वकीलों की शिकायत पर आई।
सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कोर्ट की रजिस्ट्री का बचाव किया, जब यह बताया गया कि नियमों का उल्लंघन करते हुए मामले को एक अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है। वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि पिछले साल सितंबर में जस्टिस एस अब्दुल नजीर (सेवानिवृत्त) व जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए डीएमके विधायक वी सेंथिल बालाजी के खिलाफ आपराधिक आरोपों को बहाल कर दिया था।
उन्होंने कहा, अदालत ने आगे निर्देश दिया था कि शेष इसी तरह के मामलों में पुलिस को हाईकोर्ट के स्थगन आदेश को वापस लेने के लिए कदम उठाना चाहिए। ऐसा करने के बजाय पुलिस ने अभियुक्तों को राहत देते हुए नए सिरे से जांच के लिए हाईकोर्ट के समक्ष सहमति व्यक्त की और इसकी अनुमति दी गई। जिसे चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर की गई हैं। वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे और कपिल सिब्बल ने मामले को सूचीबद्ध करने के संबंध में शिकायत की और एक मामले को दूसरी पीठ के समक्ष रखने पर आपत्ति जताई, जबकि इससे जुड़े मामलों की सुनवाई एक अलग पीठ कर रही है।