प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख संजय मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया। केंद्र सरकार ने ईडी निदेशक के कार्यकाल को बढ़ाने के अपने फैसले का बचाव किया। केंद्र ने कहा कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा भारत के मूल्यांकन के लिए ईडी प्रमुख के कार्यकाल को जारी रखना महत्वपूर्ण था।
हलफनामा में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ईडी के कार्यकाल विस्तार को चुनौती देने वाली याचिका का असली मकसद कांग्रेस के कुछ नेताओं के खिलाफ चल रही जांच में बाधा डालना है और यह सुनिश्चित करना है कि ईडी अपने वैधानिक कर्तव्यों का निडर होकर निर्वहन नहीं कर सके।
ईडी निदेशक की निरंतरता राष्ट्रीय हित में अनिवार्य पाई गई
हलफनामे में उल्लेख किया गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग पर भारत के कानून की अगली समीक्षा 2023 में होनी है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत की रेटिंग नीचे नहीं जाती है, प्रवर्तन निदेशालय में नेतृत्व की निरंतरता महत्वपूर्ण है। केंद्र ने तर्क दिया कि मौजूदा ईडी निदेशक की निरंतरता राष्ट्रीय हित में अनिवार्य पाई गई थी। सरकार ने आगे दावा किया कि इस तरह के महत्वपूर्ण मोड़ पर एक नए व्यक्ति के होने से बड़े जनहित का संरक्षण नहीं हो सकता है।