कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि उनके पास कभी अपना घर नहीं रहा और उनके इसी अहसास ने उन्हें अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में बदलाव करने और लोगों से संपर्क साधने में मदद की। छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में कांग्रेस के महाधिवेशन को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि वह चाहते थे कि यात्रा में शामिल होने वाला प्रत्येक व्यक्ति यह महसूस करे कि वे घर आ रहे हैं। उन्होंने 1977 में हुई उस घटना को याद किया, जब उनका परिवार अपना सरकारी आवास खाली करने की तैयारी कर रहा था।

 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘घर में एक असहज माहौल था। मैं मां के पास गया और उनसे पूछा कि क्या हुआ है। मां ने मुझसे कहा कि हम यह घर छोड़ रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उस वक्त तक मुझे लगता था कि यह हमारा घर है। इसलिए, मैंने अपनी मां से पूछा कि हम अपना घर क्यों छोड़ रहे हैं। तब, मेरी मां ने मुझे पहली बार बताया कि यह हमारा घर नहीं है, बल्कि सरकारी आवास है और अब हमें इसे छोड़ना होगा।’’

राहुल ने कहा कि उन्होंने अपनी मां (सोनिया गांधी) से पूछा कि अब वे कहां जाएंगे, इस पर उन्होंने कहा था, ‘‘…‘नहीं मालूम’, मैं हैरान रह गया। मैंने सोचा था कि यह हमारा घर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘52 साल का होने के बाद भी मेरे पास एक घर नहीं है। हमारा पारिवारिक घर इलाहाबाद में है और वह भी हमारा नहीं है। मैं 12 तुगलक लेन पर रह रहा हूं, लेकिन यह मेरा घर नहीं है।’’

हालांकि, भाजपा ने राहुल पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी से गांधी परिवार में ‘अधिकार की भावना’ प्रदर्शित होती है क्योंकि इसने जिम्मेदारी के बगैर शक्तियों का आनंद लिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, ‘‘राहुल जी सोचा करते थे कि वे जिन आवास और कार का उपयोग कर रहे थे, वे उनके ही थे। यदि आपको लगता है कि सरकारी आवास आपका घर है, इसे कौन खाली करा सकता है–तो इसे अधिकार की भावना कहते हैं।’’