11 मार्च को कांग्रेस अध्यक्ष को भेजे अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि उनके इस खत के माध्यम से उनका कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा स्वीकार किया जाए।
बता दें कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बंटवारे से पहले वे सूबे के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने 11 नवंबर 2010 को सीएम पद की शपथ ली थी। हालांकि तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा किए गए संयुक्त आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद रेड्डी ने 10 मार्च 2014 को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध भी किया था और मनमोहन सरकार के विधेयक के विरोध में राज्य की विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पारित किया था।
2014 में कांग्रेस से अलग होकर बनाई थी अपनी पार्टी
सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद वह कांग्रेस से अलग हो गए और उन्होंने 2014 में अपना खुद का राजनीतिक संगठन जय समैक्य आंध्र बनाया और लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट जीतने में नाकाम रहे। 2018 में, किरण कुमार ने पार्टी को भंग कर दिया और कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए। हालांकि इसके बाद वे राजनीतिक रूप से खामोश ही रहे। अब एक बार फिर से कांग्रेस से अलग होने के बाद उम्मीद लगाई जा रही है कि वे राजनीति में दोबारा सक्रिय होंगे।