Telecom Company Vodafone Idea: जब वोडाफोन आईडिया ने 2017 में मर्जर करने का फैसला लिया था तब उसे भी टेलिकॉम इंडस्ट्री के लिए गेमचेंजर बताया गया था और ये भी कहा गया था कि यह फैसला प्रतिद्वंदी कंपनियों की हालत खराब कर रख देगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। पढ़ें पूरी स्टोरी।
Vodafone Idea Stake: साल था 2016-17 का। मार्केट में Jio नाम का एक 4G तूफान आ चुका था। दिन-प्रतिदिन उसकी मार्केट में बढ़ती हिस्सेदारी ने वोडाफोन और आइडिया की कमर तोड़ दी थी। टेलिकॉम इंडस्ट्री से गिरती साख को बचाने के लिए इन दोनों कंपनियों ने मर्जर का फैसला लिया और उसके लिए तारीख चुनी गई 20 मार्च 2017। उस समय भी कंपनी कर्ज में थी, लेकिन इस फैसले ने फिर से कंपनी में एक नई जान भर दी। इस ऐलान के बाद वीआई के पास 40 करोड़ ग्राहक, 35% कस्टमर मार्केट शेयर और 41% रेवेनेयू मार्केट शेयर हो गया था। इस परिणाम से उसे उस समय की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी बनने का मौका मिला, लेकिन ऐसी स्थिति अधिक समय तक नहीं बनी रही। तारीख बदली, समय बदला देश में 5G लॉन्च हो गया, लेकिन कंपनी के विकास में 5G स्पीड नहीं देखने को मिली। आज ये हालत हो गई है कि कंपनी को एक बड़ा हिस्सा बेचने पर मजबूर होना पड़ा है। कर्ज में डूबी टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया के निदेशक मंडल ने 16,133 करोड़ रुपये मूल्य के इक्विटी शेयर सरकार को आवंटित करने को मंजूरी दे दी है। यह कंपनी में 33.44 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर है। कंपनी ने मंगलवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि सरकार को यह हिस्सेदारी बकाया ब्याज के एवज में दी जा रही है। यह ब्याज समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) और स्पेक्ट्रम नीलामी का भुगतान टाले जाने पर लगाया गया है।
16,133 करोड़ रुपये कंपनी पर बकाया
वोडाफोन आइडिया ने कहा कि कंपनी के निदेशक मंडल ने मंगलवार को हुई बैठक में 10 रुपये अंकित मूल्य के 16,133,198,899 इक्विटी शेयर 10 रुपये प्रति शेयर के भाव पर भारत सरकार के निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीपम) को आवंटित करने को मंजूरी दी है। ये शेयर 16,133,184,8990 रुपये मूल्य के हैं। सरकार ने कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया के ऊपर 16,133 करोड़ रुपये के बकाया ब्याज को इक्विटी में बदलने के प्रस्ताव को पिछले हफ्ते मंजूरी दी थी। आदित्य बिड़ला समूह की तरफ से कंपनी को चलाने और जरूरी निवेश लाने की पूरी प्रतिबद्धता जताने के बाद यह अनुमति दी गयी है। शेयर हस्तांतरण के बाद कंपनी में भारत सरकार की हिस्सेदारी 33.44 प्रतिशत हो जाएगी। इसके साथ ही वोडाफोन आइडिया की चुकता शेयर पूंजी 482,520,327,840 रुपये हो जाएगी। इसमें 10 रुपये अंकित मूल्य के 48,252,032,784 इक्विटी शेयर शामिल हैं।
पहले वाला फेल हुआ तो दूसरी बार हिस्सेदारी ही बेच डाली
बता दें, वोडाफोन आइडिया ने शेयर हस्तांतरण से सरकार को 33.14 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलने का अनुमान जताया था, जिसके बाद कंपनी में सरकार की सबसे अधिक हिस्सेदारी हो जाएगी। कंपनी के प्रवर्तकों आदित्य बिड़ला समूह और वोडाफोन समूह के पास क्रमश: 18.07 प्रतिशत और 32.29 प्रतिशत हिस्सेदारी है। विश्लेषकों के अनुसार वोडाफोन आइडिया के ऊपर बकाया ब्याज को सरकारी हिस्सेदारी में बदलना टेलिकॉम कंपनी के लिये निकट भविष्य में सकारात्मक साबित होगा। कंपनी संभवत: शुल्क दरें भी बढ़ाएगी। इन सबसे उसका कुछ नकदी प्रवाह बढ़ेगा। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि वोडाफोन आइडिया के लिये बुनियादी चुनौती अब भी बरकरार है। हालांकि ध्यान देने वाली बात ये है कि जब वोडाफोन आईडिया ने 2017 में मर्जर करने का फैसला लिया था तब उसे भी टेलिकॉम इंडस्ट्री के लिए गेमचेंजर बताया गया था और ये भी कहा गया था कि यह फैसला प्रतिद्वंदी कंपनियों की हालत खराब कर रख देगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बता दें, कंपनी ने फाइबर 5जी और अन्य प्रमुख टेलिकॉम बुनियादी ढांचे में कम निवेश किया है। इस अंतर को पाटने के लिये कंपनी को 6 से 8 अरब डॉलर निवेश की जरूरत होगी।