कृषि के जानकर गिरीश पांडेय कहते है कि उत्तर प्रदेश में करीब 70 फीसद लोग खेतीबाड़ी पर निर्भर हैं। इसमें से भी करीब 90 फीसद सीमांत एवं लघु किसान हैं।
यूपी के किसानों की किस्मत बदलने वाली है। दरअसल,यूपी के किसानों की आय बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने मोटे अनाजों की खेती के लिए करीब 1.5 लाख किसानों को प्रशिक्षित करने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से हरी झंडी मिल गई है। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने बजट 2023 में मोटे अनाज पर जोर दिया है। भारत मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। इस अवसर को भुनाने के लिए योगी सरकार ने राज्य के करीब डेढ़ लाख किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित करने का प्लान बनाया है।

इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के मद्देजर खाद्यन्न एवं पोषण के लिए बेहद मुफीद मोटे अनाजों को लोकप्रिय बनाने के लिए पूरी दुनियां शिद्दत से लग चुकी है। योगी सरकार भी मिलेट्स को मोती बनाने में जुट गई है। अगले पांच साल की कार्ययोजना बनकर तैयार है। योजना के अनुसार इस दैरान सरकार मिलेट्स के प्रसंस्करण, पैकिंग सह विपणन के 55 केंद्र खोलेगी। खेती के उन्नत तौर तरीकों के प्रशिक्षण के लिए करीब 137300 किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। मोबाईल आउटलेट, मंडी में अलग से जगह आवंटन, ग्राम्य विकास विभाग की मदद से गावों में इनके आउटलेट्स खोलने की योजना है।

70 फीसदी लोग खेतीबाड़ी पर निर्भर

कृषि के जानकर गिरीश पांडेय कहते है कि उत्तर प्रदेश में करीब 70 फीसद लोग खेतीबाड़ी पर निर्भर हैं। इसमें से भी करीब 90 फीसद सीमांत एवं लघु किसान हैं। ये वही वर्ग है जिसकी 1960 से पहले थाली का मुख्य हिस्सा मोटे अनाज ही थे। इस वर्ग के अधिकांश अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग हैं। परंपरागत खेती में लगने वाले इनपुट इनकी पहुंच के बाहर हैं। ऐसे में यह किसी तरह से अपने छोटे-मोटे जोत पर खेती करते हैं। इससे इनका बामुश्किल गुजारा हो पाता है। कम पानी, खाद और किसी भी भूमि पर होने वाले मोटे अनाजों की खेती इस वर्ग के लिए सबसे मुफीद होगी।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार ज्वार ग्लूटेन फ्री है और प्रोटीन का अच्छा सोर्स है। डायबिटीज के मरीजों के लिए बढ़िया भोजन है। बाजरा इसमें विटामिन बी6, फॉलिक एसिड मौजूद है। ये खून की कमी को दूर करता है। रागी या मड़ुआ नेचुरल कैल्शियम का सोर्स है। बढ़ते बच्चे और बुजुर्गों की हड्डी मजबूत करने में मदद करता है। सांवा या सामा फाइबर और आयरन से भरपूर है। एसिडिटी, कब्जियत और खून की कमी को दूर करता है। कंगनी डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है। बीपी और बेड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है। कोदो भी फाइबर से भरपूर है। घेंघा रोग, रुस्सी की समस्या से संबंधित बीमारी और बवासीर में फायदेमंद है। कुटकी एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम हेल्दी हार्ट और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है। कुट्टू अस्थमा के रोगियों के लिए फायदेमंद है। इसमें मौजूद अमीनो एसिड बाल झड़ने से रोकता है।