नई दिल्ली, पीटीआई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए विपक्ष को एक सुझाव दिया है। शाह ने कहा कि अगर विपक्ष बातचीत के लिए आगे आता है तो संसद में मौजूदा गतिरोध को सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष ‘दो कदम आगे’ बढ़ता है तो सरकार भी ‘दो कदम आगे’ बढ़ने को तैयार है।
अध्यक्ष के सामने बैठकर सुलझ सकता है गतिरोध
शुक्रवार को एक कॉन्क्लेव में भाग लेते हुए शाह ने कहा कि विपक्ष अगर चाहे तो दोनों पक्ष अध्यक्ष के सामने बैठकर चर्चा कर सकते हैं। उन्हें दो कदम आगे आना चाहिए और हम दो कदम आगे बढ़ेंगे। फिर संसद चलना शुरू हो जाएगी। शाह ने राहुल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे बस एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और कुछ नहीं करते।
विपक्ष नहीं चाहता वार्ता
गृह मंत्री ने कहा कि संसदीय प्रणाली केवल सत्ता पक्ष या केवल विपक्ष से नहीं चल सकती क्योंकि दोनों को एक-दूसरे से बात करनी होती है। शाह ने कहा कि हमारी पहल के बावजूद, विपक्ष की ओर से वार्ता का कोई प्रस्ताव नहीं आया है। तो हम किससे बात करेंगे? वे बस मीडिया से बात कर रहे हैं।
इंदिरा गांधी से सीखें राहुल
भाजपा नेता ने राहुल के कैम्ब्रिज वाले बयान पर कटाक्ष भी किया। उन्होंने कहा कि राहुल को विदेशों में जाकर भारत का अपमान नहीं करना चाहिए। शाह ने कहा कि कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो राजनीति से ऊपर हैं और यहां तक कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी विदेशी धरती पर घरेलू राजनीति पर चर्चा करने से इनकार कर दिया था।
संसद में कोई फ्रीस्टाइल नहीं बोल सकता
संसद में न बोलने देने के राहुल गांधी के आरोपों पर शाह ने कहा कि सभी को नियमों का पालन करना होगा और संसद में बोलना फ्रीस्टाइल नहीं हो सकता और सभी को नियमों का अध्ययन करना चाहिए और उन्हें समझना चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि संसद में बहस नियमानुसार होती है, आप संसद में उस तरह से बात नहीं कर सकते जैसे कोई सड़क पर कर सकता है। यदि उनके पास यह बुनियादी समझ नहीं है, तो हम क्या कर सकते हैं?
राहुल जी, संसद के नियम आपकी दादी और पिता के समय से’
गृह मंत्री ने समारोह में आगे कहा, ”संसद कुछ नियमों के तहत काम करती है और ये नियम मौजूदा सरकार ने नहीं बनाए हैं। ये नियम उनकी दादी या पिता के समय में भी मौजूद थे। वे इन नियमों के साथ बहस में भाग ले रहे थे, हम भी इन नियमों के अनुसार भाग ले रहे हैं।” शाह ने कहा कि राहुल को नियमों के बारे में कोई जानकारी नहीं है और फिर आरोप लगाते हैं कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है।