राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) की टीम लाहौर में खान के जमान पार्क स्थित आवास पर पहुंची और बुशरा को नोटिस जारी किया। खबरों के मुताबिक उन्हें मंगलवार को तलब किया गया है।

पाकिस्तान की भ्रष्टाचार निरोधक निगरानी संस्था ने सोमवार को इमरान खान की तीसरी पत्नी बुशरा बीबी को भ्रष्टाचार के एक मामले में तलब किया। इसके एक दिन पहले पुलिस ने अपदस्थ प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी के एक दर्जन से ज्यादा नेताओं के खिलाफ न्यायिक परिसर के बाहर तोड़फोड़ करने और अशांति पैदा करने के लिए आतंकवाद का मामला दर्ज किया था।

इस्लामाबाद न्यायिक परिसर के बाहर शनिवार को उस समय झड़पें शुरू हो गईं, जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख खान तोशाखाना मामले में बहुप्रतीक्षित सुनवाई में भाग लेने के लिए लाहौर से इस्लामाबाद पहुंचे। हालांकि, न्यायिक परिसर के बाहर हिंसा के कारण न्यायाधीश ने खान को एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद घर लौटने की अनुमति दे दी।

‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार के मुताबिक, राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) की टीम लाहौर में खान के जमान पार्क स्थित आवास पर पहुंची और बुशरा को नोटिस जारी किया। खबर में कहा गया है कि उन्हें मंगलवार को तलब किया गया है। इससे पहले एनएबी ने खान और उनकी पत्नी को तोशाखाना मामले में पूछताछ के लिए नौ मार्च को रावलपिंडी स्थित कार्यालय में तलब किया था। तोशाखाना मामले में सुनवाई 30 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई क्योंकि न्यायाधीश ने कहा कि सुनवाई के लिए स्थिति अनुकूल नहीं है।

पूर्व प्रधानमंत्री खान उपहार खरीदने के लिए विवादों में रहे हैं, जिसमें एक महंगी कलाई घड़ी भी शामिल है, जिसे उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में तोशाखाना (सरकारी डिपॉजिटरी) से रियायती कीमत पर लिया था और उन्हें लाभ के लिए बेच दिया था। पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने पिछले साल अक्टूबर में बिक्री का ब्योरा साझा न करने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था।

चुनाव आयोग ने बाद में देश के प्रधानमंत्री के रूप में मिले उपहारों को बेचने के लिए आपराधिक कानूनों के तहत उन्हें दंडित करने के लिए जिला अदालत में शिकायत दर्ज की। खान ने इन आरोपों का जोरदार खंडन किया। लाहौर पुलिस ने रविवार को खान और पीटीआई के 1,000 से ज्यादा कार्यकर्ताओं के खिलाफ आतंकवाद के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया था।

क्रिकेटर से नेता बने खान को पिछले साल अप्रैल में अविश्वास मत के जरिए सत्ता से बाहर कर दिया गया था, जिस पर उन्होंने आरोप लगाया था कि यह रूस, चीन और अफगानिस्तान पर उनकी स्वतंत्र विदेश नीति के फैसलों के कारण उन्हें निशाना बनाने वाली अमेरिका के नेतृत्व वाली साजिश का हिस्सा है।

अपदस्थ होने के बाद से वह प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली ‘आयातित सरकार’ को हटाने के लिए जल्द चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। शरीफ ने कहा है कि संसद का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद इस साल के अंत में चुनाव कराए जाएंगे।