पीठ ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता अगर केंद्र सरकार के फैसले से सहमत नहीं हैं तो वह संबंधित उच्च न्यायालय भी जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च अदालत ने बहुमत के फैसले के आधार पर केंद्र सरकार के 2016 के विमुद्रीकरण के फैसले को सही ठहराया था।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विमुद्रीकरण के बाद बंद हो चुके 500 और 1000 रुपए के नोटों को स्वीकार करने वाली अलग-अलग याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने हालांकि याचिकाकर्ताओं को प्रतिनिधि की मदद से केंद्र सरकार से अपील करने की अनुमति दे दी है। अदालत ने केंद्र सरकार को, अगर संभव है तो, 12 हफ्तों में प्रतिनिधित्व पर फैसला लेकर ऐसी याचिकाओं पर अमल करने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट जा सकते हैं याचिकाकर्ता
पीठ ने कहा कि ‘संविधान पीठ के फैसले के बाद, हमें नहीं लगता कि हमें इसकी इजाजत है कि हम अलग-अलग मामलों में संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल, विमुद्रीकरण किए जा चुके नोटों को स्वीकार करने के मामलों में करें।’ पीठ ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता अगर केंद्र सरकार के फैसले से सहमत नहीं हैं तो वह संबंधित उच्च न्यायालय भी जा सकते हैं।

संविधान पीठ ने सरकार के पक्ष में दिया था फैसला
उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च अदालत ने बहुमत के फैसले के आधार पर केंद्र सरकार के 2016 के विमुद्रीकरण के फैसले को सही ठहराया था। जिसमें सरकार ने 1000 और 500 रुपए के नोट चलन से बाहर कर दिए थे। पांच  जजों की पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि केंद्र सरकार की फैसले लेने की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण नहीं हो सकती क्योंकि केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक से सलाह के बाद ही फैसला लिया था। पीठ ने कहा कि केंद्र के फैसले को गलत नहीं ठहराया जा सकता और फैसला लेने की प्रक्रिया के आधार पर भी इसे खारिज नहीं किया जा सकता।