रमजान के महीने में तरावीह को अपनी अकीदत के हिसाब से सब लोग अलग-अलग दिनों में पूरा करते हैं। गुरुवार की शाम रमजान का चांद दिखाई देने के बाद तरावीह शुरू हुई।

कानपुर में अरबी कैलेंडर के 9वें महीने रमजानुल मुबारक का चांद गुरुवार को नजर आ गया। लोगों ने चांद देखकर खुशहाली की दुआ मांगी। रात को इशां की नमाज अदा करने के बाद लोगों ने तरावीह की नमाज अदा की। शहर की 350 मस्जिदों, विभिन्न कैंपस के मैदानों और घरों की छतों पर भी लोगों ने तरावीह की नमाज पढ़ी।

पहला रोजा शुक्रवार को होगा। चांद रात को मुस्लिम बहुल इलाकों के बाजारों में देर रात तक चहल-पहल और रौनक रही। लोगों ने सहरी और इफ्तार के सामान की खरीदारी की। उलमा ने पूरा महीना इबादत में गुजारने, गुनाह से दूर रहने और जरूरतमंदों की भरपूर मदद करने की अपील की है।

उलमा ने अपील की कि रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखा रहना नहीं होता है। यह हाथ-पैर, आंख आदि सभी अंगों का भी रोजा होता है। जो लोग किसी वजह से रोजा नहीं रख पाते, वे रोजेदारों का एहतिराम करें। इसके साथ ही रमजान हेल्पलाइनों पर मसले पूछने का सिलसिला शुरू हो गया है।

प्रदेश उपाध्यक्ष बोले- कुरान पाक की तिलावत करें
जमीअत उलमा के प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना अमीनुल हक अब्दुल्लाह कासमी ने अपील की है कि रोजेदारों को इफ्तार कराएं। कुरान पाक की तिलावत करें। देश और समाज में अमन-शांति की दुआ करें। सभी एक-दूसरे की मदद करने का प्रयास करें।

पहले 10 दिन का अशरा रहमतों का है
ऑल इंडिया गरीब नवाज काउंसिल के कौमी सदर मौलाना मो. हाशिम अशरफी ने बताया कि पैगंबर-ए-इस्लाम ने रमजान के तीस दिनों को तीन अशरों में बांट कर अहमियत बताई है। पहले 10 दिन का अशरा रहमतों का होता है। दूसरा अशरा गुनाहों से माफी और तीसरा जहन्नम से निजात का है।

रजा-रमजान: इफ्तार-सहरी

पहला रोजा इफ्तार
सुन्नी-6:21 बजे
शिया-6:34 बजे बजे

दूसरा रोजा सहरी
सुन्नी-4:50 बजे
शिया-4:37 बजे