ये वही गुड्डू मुस्लिम है, जिसने उमेश पाल की हत्या के दौरान एक के बाद एक कई बम धमाके किए थे। गुड्डू मुस्लिम को बमबाज गुड्डू भी बोलते हैं। असद के एनकाउंटर के बाद गुड्डू को पकड़ने की कोशिशें तेज हो गईं हैं। अफवाह तो उसके भी एनकाउंटर की थी, लेकिन बाद में यूपी पुलिस ने इसे खारिज कर दिया।
उमेश पाल हत्याकांड से जुड़े कई किरदार अब तक सामने आ चुके हैं। हत्या में शामिल चार आरोपी पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। इनमें अतीक अहमद का बेटा असद अहमद भी है। इसके अलावा मुख्य साजिशकर्ता अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ पुलिस रिमांड में हैं। दोनों से पूछताछ हो रही है। अतीक का एक दूसरा बेटा भी नैनी जेल में बंद है। दो नाबालिग बेटे बाल सुधार गृह में हैं। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन, बहन नूरी और उसकी दो बेटियां, अशरफ की पत्नी जैनब फरार चल रही है। पुलिस को इनकी तलाश है।
इन सबके अलावा एक और नाम है, जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा है। वह नाम है गुड्डू मुस्लिम का। ये वही गुड्डू मुस्लिम है, जिसने उमेश पाल की हत्या के दौरान एक के बाद एक कई बम धमाके किए थे। गुड्डू मुस्लिम को बमबाज गुड्डू भी बोलते हैं। असद के एनकाउंटर के बाद गुड्डू को पकड़ने की कोशिशें तेज हो गईं हैं। अफवाह तो उसके भी एनकाउंटर की थी, लेकिन बाद में यूपी पुलिस ने इसे खारिज कर दिया।
आज हम इसी बमबाज गुड्डू मुस्लिम की कहानी बताएंगे। कैसे लखनऊ यूनिवर्सिटी से पढ़ते हुए इसने दहशत का रास्ता अपना लिया। आइए जानते हैं…
गुड्डू मुस्लिम को जानने वाले लोग बताते हैं कि वह शुरू से ही बदमाश था। इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में उसका जन्म हुआ था। स्कूली दिनों से ही वह लूट और रंगदारी वसूलने जैसे कांड में शामिल होने लगा। इसी दौरान कई बड़े बदमाशों के संपर्क में आया। बताया जाता है कि तब से ही वह बम बनाने लगा। हर रोज गुंडागर्दी और मारपीट की शिकायतों से परेशान होकर घरवालों ने उसे पढ़ने के लिए लखनऊ भेज दिया। लेकिन यहां से गुड्डू मुस्लिम ने बड़े अपराध को अंजाम देना शुरू कर दिया। बताया जाता है कि यहां उसकी मुलाकात पूर्वांचल के दो बाहुबली नेताओं अभय सिंह और धनंजय सिंह से हुई। उन दिनों ये भी लखनऊ यूनिवर्सिटी में ही पढ़ते थे।रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुड्डू मुस्लिम का नाम पहली बार तब चर्चा में आया। जब उसने 1997 में लखनऊ के चर्चित लामार्टीनियर स्कूल के गेम टीचर फेड्रिक जे गोम्स की हत्या कर दी। इस मामले में गुड्डू गिरफ्तार भी हुआ था। गुड्डू के साथ राजा भार्गव और धनंजय सिंह को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया था। कहा तो ये भी जाता है कि पुलिस के सामने गुड्डू ने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया था, लेकिन इसके बावजूद कोर्ट में पुलिस तीनों को दोषी साबित नहीं कर पाई। तीनों बरी हो गए।इस दौरान गुड्डू ने एक और हत्या का जुर्म कबूला था। तब उसने बताया था कि फैजाबाद के ठेकेदार संतोष सिंह को भी उसी ने मारा था। गुड्डू ने ये भी बताया कि कैसे संतोष को उसने जहर दिया और उसकी लाश रायबरेली में छोड़ दी। इसके बाद उसकी कार, राइफल और पैसे लूट लिए।
इसी हत्या के बाद अभय और धनंजय के बीच दुश्मनी बढ़ी। 26 साल बाद भी वो एक दूसरे के दुश्मन हैं। इस हत्या के बाद गुड्डू धनंजय का और भी ज्यादा करीबी हो गया। लखनऊ में रहते हुए गुड्डू जुर्म की दुनिया का बड़ा नाम बन गया। उन दिनों लखनऊ में एक और नाम की तूती बोलती थी। वह नाम था, बाहुबली विधायक अजीत सिंह का। रेलवे मोबाइल टॉवर लगाने के सभी ठेके अजीत को ही मिलते थे। धनंजय इन ठेकों को हासिल करना चाहता था और इसके लिए उसने गुड्डू का सहारा लिया।
कहा जाता है कि गुड्डू ने विभाग के अधिकारियों को अपहरण करना शुरू कर दिया। उन्हें हत्या की धमकी देकर टेंडर अपने कब्जे में ले लेता था। गुड्डू कोई भी टेंडर पूल कराने वाला बड़ा नाम बन चुका था। उसके एक इशारे पर सरकारी टेंडर यहां से वहां हो जाते थे। साल 1997 में बसपा सरकार के दौरान राज्य निर्माण निगम के इंजीनियर को बीच सड़क पर गुड्डू ने गोलियों से भून दिया गया। इस हत्या में धनंजय सिंह के साथ गुड्डू मुस्लिम भी आरोपी बनाया गया था।