केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि देश मक्खन और अन्य डेयरी उत्पादों का आयात नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि घरेलू क्षेत्र की मदद से ही आपूर्ति में सुधार किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘इसमें (डेयरी उत्पादों की कमी की खबरों में) कोई सच्चाई नहीं है। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के प्रभारी रूपाला ने एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, “इन उप्पादों का कोई आयात नहीं होगा।” उन्होंने कहा कि देश में दूध की कोई कमी नहीं है और सरकार नियमित रूप से निगरानी कर रही है। उन्होंने कहा, ‘मांग बढ़ी है। हमारे पास विशाल अप्रयुक्त क्षेत्र है, हम इसका दोहन करने की कोशिश करेंगे… हम इसका उचित तरीके से प्रबंधन करेंगे और चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।’ उन्होंने किसानों और उपभोक्ताओं से भी इस बारे में चिंता नहीं करने का आग्रह किया है। डेयरी उत्पादों की खुदरा कीमतों में वृद्धि पर मंत्री ने कहा कि कीमतों के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं।
केरल-कर्नाटक के बीच दूध की ‘अनैतिक’ बिक्री पर मनमुटाव
वहीं दूसरी ओर अब तमिलनाडु के बाद केरल में भी दूध पर सियासत शुरू हो गई है। केरल सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (केसीएमएमएफ) जो अपने ब्रांड मिल्मा के नाम से जानी जाती है, ने कुछ राज्यों के दुग्ध विपणन महासंघों की अपने-अपने राज्यों के बाहर के बाजारों में आक्रामक तरीके से प्रवेश करने की प्रवृत्ति को ‘अनैतिक’ करार दिया है।
कर्नाटक मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के अपने नंदिनी ब्रांड के दूध और अन्य उत्पादों को बेचने के लिए केरल के कुछ हिस्सों में अपने आउटलेट खोलने की आलोचना करते हुए मिल्मा ने कहा कि यह सहकारी भावना का पूरी तरह से उल्लंघन है जिसके आधार पर देश के डेयरी क्षेत्र को लाखों डेयरी किसानों के लाभ के लिए संगठित किया गया है। उन्होंने कहा, ‘हाल के दिनों में कुछ राज्य दुग्ध विपणन महासंघों की ओर से अपने मुख्य उत्पादों को अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र से बाहर बेचने की प्रवृत्ति बढ़ी है। यह संघीय सिद्धांतों और उन सहकारी भावनाओं का घोर उल्लंघन करता है, जिसके आधार पर त्रिभुवनदास पटेल और डॉ वर्गीज कुरियन जैसे अग्रदूतों की ओर से देश के डेयरी सहकारी आंदोलन का निर्माण और पोषण किया गया है।