भाजपा महानगर की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में बुधवार को खूब हंगामा हुआ। अंदरखाने की खबर है कि जब वार्ड के क्रमानुसार उम्मीदवारों के चयन पर रायशुमारी हो रही थी तो कई वार्ड पर उस क्षेत्र के विधायक अपनों की पैरवी में खूबियां गिनाने लगे और सूची में शीर्ष पर नाम रखवाने लगे।

भाजपा में चुनावी दंगल के पहले ही टिकट बंटवारे को लेकर जंग छिड़ गई है। पार्षद के टिकट को लेकर दो विधायक आपस में ही भिड़ गए। एक विधायक ने प्रदेश अध्यक्ष से टिकट बंटवारे में गड़बड़ी किए जाने की शिकायत भी की है। विधायक के समर्थक भी अब इस मामले को लेकर मुखर होने लगे हैं।

भाजपा महानगर की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में बुधवार को खूब हंगामा हुआ। अंदरखाने की खबर है कि जब वार्ड के क्रमानुसार उम्मीदवारों के चयन पर रायशुमारी हो रही थी तो कई वार्ड पर उस क्षेत्र के विधायक अपनों की पैरवी में खूबियां गिनाने लगे और सूची में शीर्ष पर नाम रखवाने लगे।

विधायकों का कहना था कि उनका क्षेत्र है तो वे बेहतर जानते हैं कि कौन सा प्रत्याशी बेहतर है और जीत सकता है। जब वार्ड नंबर 39 गायघाट, वार्ड नंबर नंबर 46 शक्तिनगर बशारतपुर और वार्ड नंबर 37 भरवलिया का नंबर आया तो मामले में पेच फंस गया। वार्ड 39 सामान्य है।

 

 

यहां से ओबीसी के एक दावेदार को प्राथमिकता देने पर गोरखपुर ग्रामीण विधायक विपिन सिंह और एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह के बीच बहस शुरू हो गई। आरोप लगा कि एक पदाधिकारी के रिश्तेदार को टिकट देने के लिए सामान्य सीट पर ओबीसी को प्राथमिकता दी गई है। देवेंद्र प्रताप सिंह ने एक पार्टी के कार्यकर्ता को दरकिनार किए जाने का आरोप लगाकर आपत्ति जता दी।

दोनों विधायकों के बीच इसे लेकर जुबानी जंग छिड़ गई। आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया। बैठक में ही विधायक ने प्रत्याशियों के चयन में धांधली का आरोप भी लगा दिया। उनके समर्थन में एक बड़े नेता भी आ गए। बहरहाल, क्षेत्रीय स्क्रीनिंग कमेटी ने बृहस्पतिवार की रात में सूची तैयार ली है। शुक्रवार की रात तक पहली सूची जारी सकती है।

 

पर्दे के पीछे कौन है

टिकट बंटवारे को लेकर जब दो विधायकों में बहस हुई तो यह चर्चा भी चली कि पूरे खेल के पीछे कोई न कोई है। कार्यकर्ताओं में भी चर्चा आम हो गई कि पर्दे के पीछे कौन है। लोग अपने-अपने तरह से नामकरण करते रहे और राजनीतिक निहितार्थ निकालते रहे।

…और जब महानगर अध्यक्ष बाहर किए गए
स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक जब शुरू हुई तो कमेटी के एक सदस्य और वर्तमान में जनप्रतिनिधि ने सूची देखकर महानगर अध्यक्ष राहुल गुप्ता से सवाल कर दिया कि मेयर के लिए तो आपने भी आवेदन किया है। महानगर अध्यक्ष के हां जवाब मिलते ही कुछ सदस्यों ने कहा कि तब आप बैठक में बैठ नहीं सकते हैं। जिसके बाद वे बैठक छोड़कर बाहर चले गए।

एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वार्ड की टिकट वितरण की प्रक्रिया में निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई है। सामान्य वर्ग की सीट पर ओबीसी के उम्मीदवार को सूची में प्राथमिकता दी गई है। जो सदस्य भी नहीं है और उनकी भी पैरवी स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य और ग्रामीण क्षेत्र के विधायक कर रहे थे। कई वार्ड में इस तरह की गड़बड़ी की गई है। इसका मैंने विरोध किया है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को ई-मेल और व्हाट्सएप के माध्यम से सारी जानकारी दे दी है।

पार्षद आप लोग निर्धारित कर लें, मेयर मैं देख लूंगा…

बैठक में जिले के प्रभारी और संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना भी मौजूद थे। अंदरखाने की खबर है कि उन्होंने सदस्यों से कह दिया कि पार्षद आप लोग देख लें, मेयर वाले पर हम बात करेंगे। फिर उन्होंने राज्यसभा सदस्य डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल, एमएलसी डॉ. देवेंद्र प्रताप सिंह, विधायक विपिन सिंह, महेंद्र पाल सिंह से भी अलग-अलग सुझाव लिया।

देर रात तक क्षेत्रीय कार्यालय पर लगी रही भीड़
रानीडीहा स्थित भाजपा के क्षेत्रीय कार्यालय पर बृहस्पतिवार को गोरखपुर महानगर और देवरिया के दावेदारों की स्क्रीनिंग देर रात तक चली। अंदर कमरे में क्षेत्रीय प्रभारी एमएलसी अनूप गुप्ता, क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय, पूर्व क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं एमएलसी डॉ. धर्मेंद्र सिंह, जिलाध्यक्ष, प्रभारी नामों पर चर्चा कर रहे थे और बाहर पार्टी के नेता, दावेदार डेरा जमाए हुए थे।

मेयर का नाम घोषित होने की उड़ी अफवाह
भाजपा से मेयर प्रत्याशी के घोषित होने की भी चर्चा बड़ी तेजी से शहर में फैल गई। कायस्थ बिरादरी के एक दावेदार के नाम की चर्चा होने लगी। चुनाव से ताल्लुक रखने वाला हर शख्स अपने तरीके से इसकी पुष्टि में जुट गया। गोलघर के कई व्यापारी भी नेताओं के पास फोन घुमाने लगे। बाद में बात छनकर आई कि दावेदार के समर्थकों ने ही हवा उड़ा दी थी।

भइया भले ही सूची बना लें, फाइनल महराज जी ही करेंगे…
गोरखपुर शहर में मेयर प्रत्याशी को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। चर्चा है कि दावेदारों की सूची में टॉप-5 में दो कायस्थ, वैश्य, ब्राह्मण, क्षत्रिय से एक-एक नाम रखा गया है। हालांकि इसकी पुष्टि करने से पदाधिकारी बचते रहे। लेकिन, लोग यह भी कहते रहे, ये गोरखपुर का मामला है। भले ही सूची बना लें, फाइनल तो महराज जी ही करेंगे।