गोली लगने के बाद घर में भाग रहे उमेश पाल को दौड़ाकर गोली मारने वाले शूटर गुलाम हसन के एनकाउंटर के बाद शुक्रवार को उसके घर पर सियापा छाया रहा। भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष रहे भाई राहिल हसन और मां खुशनुदा उसका शव लेने से इन्कार करते रहे।

गोली लगने के बाद घर में भाग रहे उमेश पाल को दौड़ाकर गोली मारने वाले शूटर गुलाम हसन के एनकाउंटर के बाद शुक्रवार को उसके घर पर सियापा छाया रहा। भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष रहे भाई राहिल हसन और मां खुशनुदा उसका शव लेने से इन्कार करते रहे। जबकि, मेहदौरी स्थित ससुराल में रिश्तेदारों और पड़ोसियों की आवाजाही लगी रही।

हर तरफ खामोशी और डर का माहौल बना रहा। पति के एनकाउंटर की खबर सुनने के बाद उसकी बीवी सना का रो -रो कर बुरा हाल हो गया है। दो बेटियां चार साल की फरीदा और डेढ़ साल की मिनाहिल भी भी अब्बू के गम में बिलखतीं रहीं। अमर उजाला की टीम पर गुलाम के ससुराल में सना से मिलने के लिए पहुंची तो उसके दरवाजे पर बाहर से ताला जड़ा मिला। जबकि दरवाजे पर आदा दर्जन से अधिक लोग कुर्सियां डाल कर पड़े रहे। पड़ोसियों ने बताया कि सना किसी से बात करने की हालत में नहीं हैं। रो-रो कर उनकी तबीयत खराब हो गई है। छोटी बेटियों को भी संभालने वाला कोई नहीं है।

किसी जमाने में नगर पालिका परिषद के सभासद रहे हरमूदुल हसन के तीन पोतों में गुलाम हसन दूसरे नंबर का था। उमेश पाल की हत्या के बाद फरारी के दौरान ही रसूलाबाद में उसका पुश्तैनी मकान बुलडोजर से ढहाया जा चुका है। वर्ष 2010-12 में वह नगर निगम में ठेकेदारी कर रहा था।

उसी दौरान ठेकेदार चंदन से विवाद होने पर उसने उसे गोली मार दी थी। तभी से वह अपराध जगत में अपनी दखल बढ़ाने लगा था। वह कई माफिया अतीक अहमद के संपर्क में रहा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई के दौरान वह संकाय का चुनाव भी लड़ चुका था। पिता मासूदुल हसन और मां खुशनुदा रसूलाबाद के पुश्तैनी मकान में एक कमरा गुलाम को मिला था। पड़ोसियों के मुताबिक वह उस घर में कभी-कभार ही आता था। अक्सर वह कई दिनों तक बाहर ही रहता था।