प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस हिरासत में ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई। प्रयागराज ही नहीं लखनऊ में भी कई बार गोलियां तड़तड़ा चुकी हैं। एके-47 से लेकर ऑटोमेटिक विदेशी हथियारों से कइयों को भूना गया। चाहे 90 का दशक हो या 21वीं सदी का दौर हर बार एक नया नाम सामने आता रहा। जिसने अपनी बेखौफियत से राजधानी की धरती को खून से लाल किया। जिसकी गूंज पूरे प्रदेश ने सुनी। श्रीप्रकाश शुक्ला, मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद और धनंजय सिंह के गिरोह हों या पुराने माफिया पं. हरिशंकर तिवारी व वीरेंद्र प्रताप शाही का दौर।

संजीव जीवा और सीरियल किलर भाइयों सलीम, सोहराब व रुस्तम हों। प्रदेश के हर कोने के माफिया व बाहुबलियों ने अपना ठिकाना राजधानी में बनाया। कुछ ने चंद दिनों में ऐसी दहशत कायम कर दी कि उनके लिए प्रदेश सरकार को विशेष दस्ता एसटीएफ तक बनाना पड़ा। एक दूसरे के गिरोहों को सबक सिखाने और कमजोर करने के लिए इसी लखनऊ में रणनीति व साजिश रची जाती रही। तो यहां के ठिकानों पर हमलाकर खूनी खेल भी खेला गया।

1997 में श्रीप्रकाश ने पहली बार तड़तड़ाई एके-47
लखनऊ में पहली बार एके-47 से ताबड़तोड़ फायरिंग की गई। यह वारदात श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपने साथी राजन तिवारी, आनंद पांडेय के साथ मिलकर हुसैनगंज के होटल दिलीप में एक अगस्त 1997 को अंजाम दी। सुबह करीब 9.45 बजे दिलीप होटल में श्रीप्रकाश चार साथियों संग दाखिल हुआ। दो रिसेप्शन पर रुके और दो कमरा नंबर 102 में दाखिल हुए। श्रीप्रकाश ने अपना नाम लेते हुए एके-47 तड़तड़ा दी। कमरे में गोरखपुर के भानु प्रकाश मिश्रा, उमाशंकर सिंह, रमेश जायसवाल और विवेक शुक्ला मौजूद थे। वारदात में सभी जख्मी हुए। विवेक शुक्ला की केजीएमयू में मौत हो गई। पुलिस को मौके से एके-47 की 134 खोखे मिले। इस वारदात में वर्तमान भाजपा नेता व गोरखपुर से समाजवादी पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ चुके भानु प्रकाश मिश्रा को 27 गोलियां लगी थीं। भानु मिश्रा का तीन साल तक इलाज चला। इससे पहले श्रीप्रकाश गिरोह ने इंदिरानगर इलाके में 1997 में महाराजगंज के लक्ष्मीपुर के पूर्व विधायक व माफिया वीरेंद्र प्रताप शाही की एक स्कूल के सामने गोलियों से भूनकर हत्या कर दी। वारदात के वक्त पूर्व विधायक के साथ न तो कोई गनर था और न ही असलहा।
जनपथ में दिनदहाड़े की थी दरोगा की हत्या
श्रीप्रकाश शुक्ला 90 के दशक में सबसे दुर्दांत अपराधी बन गया। 1997 में ही 9 सितंबर को श्रीप्रकाश के अपने कुछ साथियों के साथ जनपथ मार्केट के बांबे हेयर कटिंग सैलून में पहुंचने की सूचना थी। इस पर पुलिस टीम ने घेराबंदी की। एएसपी पश्चिम सत्येंद्र वीर सिंह के पेशकार दरोगा रवींद्र कुमार सिंह, गनर रणकेंद्र सिंह के साथ पहुंच गए। कुछ देर बाद पांच लोग आते दिखे। झोला लेकर चल रहे युवक को रोकने का प्रयास किया तो भिड़ गया। इस दौरान बदमाश के हाथ से झोला गिर गया। इसमें एके-47 रखी थी। श्रीप्रकाश शुक्ला दो अन्य बदमाशों के साथ उनके पीछे था। खुद को फंसता देख श्रीप्रकाश शुक्ला दो अन्य साथियों के साथ पीछे के रास्ते भागने लगा। दारोगा रवींद्र कुमार ने उनका पीछा किया और पिछले गेट पर श्रीप्रकाश शुक्ला को दबोच लिया। बेखौफ श्रीप्रकाश ने ताबड़तोड़ रवींद्र सिंह पर फायरिंग कर दी। रवींद्र के सिर में 6 और सीने में दो गोलियां मारी थी। मौका मिलते ही श्रीप्रकाश भाग निकला। रवींद्र सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
सीरियल किलर भाइयों ने फैलाई दहशत
लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सीरियल किलर ब्रदर्स के नाम से कुख्यात सलीम, सोहराब, रुस्तम के नाम पर कई ऐसी दुस्साहसिक वारदातें दर्ज हैं कि जिनसे राजधानी दहल गई थी। सभी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगती हैं। 2004 के रमजान में सलीम, सोहराब, रुस्तम के छोटे भाई शाहजादे की हुसैनगंज इलाके में दबंगों ने हत्या कर दी। तीनों भाइयों ने ठीक एक साल बाद बदला लिया। सलीम, सोहराब, रुस्तम ने भाई के तीन हत्यारों को महज एक घंटे के अंदर हुसैनगंज खदरा और मड़ियांव इलाके में मौत के घाट उतार दिया।वारदात अंजाम देने के बाद तीनों ने तत्कालीन एसएसपी आशुतोष पांडेय को फोन पर सूचना भी दी थी। इसके बाद से ही तीनों सीरियल किलर ब्रदर्स के नाम से कुख्यात हो गए। वजीरगंज इलाके में बसपा सरकार के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारी और समाजसेवी सैफी की दिनदहाड़े हत्या कर दी। सीरियल किलर भाइयों ने 30 सितंबर 2013 को भीड़भाड़ वाले अमीनाबाद बाजार में सरेशाम भाजपा पार्षद श्यामनारायण पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय की हत्या करवा दी। पप्पू पांडेय की हत्या खौफ कायम रखने के लिए करवाई थी। संभल के पूर्व सांसद शफीक उर रहमान वर्क के नाती फैज की चौक इलाके में गोलियों से भून कर हत्या करवा दी थी। कुछ दिन पहले सीरियल किलर भाइयों का नाम झारखंड के रांची गोली कांड में आया। इनके शूटरों ने ही इस कांड को अंजाम दिया।
मुख्तार और धनंजय गिरोह में कई बार बरसीं गोलियां
पूर्वांचल के माफिया व बाहुबली नेताओं ने लखनऊ में अपना ठिकाना बनाया है। इसमें मऊ के पूर्व विधायक व बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी और जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह प्रमुख हैं। इन दोनों के गिरोह के बीच कई बार गोलियों की तड़तड़ाहट से लखनऊ दहल चुका है। मुख्तार के करीबी मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पजीत सिंह की हत्या 6 मार्च 2016 को विकासनगर इलाके में दिनदहाड़े की गई थी। कार सवार पुष्पजीत व उसके दोस्त शिक्षक संजय मिश्रा को बाइक सवार बदमाशों ने गोलियों से भून दिया था। इस वारदात का खुलासा आज तक नहीं हुआ। मामले में पूर्व विधायक कृष्णानंद राय के परिवार पर आरोप लगा और केस भी दर्ज हुआ था। इस वारदात के करीब एक साल बाद 1 दिसंबर 2017 को गोमतीनगर विस्तार स्थित ग्वारी फ्लाईओवर पर मुन्ना बजरंगी के करीबी तारिक को गोलियों से भून दिया गया। वह एसयूवी से शहर की तरफ आ रहा था। फ्लाईओवर पर ही उसे गोली मार दी गई। इस वारदात को भी पुलिस आजतक नहीं खोल सकी।
कठौता चौराहे पर तड़तड़ाई 9 एमएम
6 जनवरी 2021 की शाम करीब 8 बजे भीड़भाड़ वाला कठौता चौराहा गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा। गैंगवार में हुई इस वारदात में मऊ के मोहम्मदाबाद गोहना के पूर्व उप ज्येष्ठ प्रमुख अजीत सिंह की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। 21 गोलियां मारी गई थीं। उसका साथी मोहर सिंह भी घायल हुआ था। अजीत मुख्तार अंसारी का करीबी था और आजमगढ़ के पूर्व विधायक सीपू सिंह हत्याकांड का मुख्य गवाह था। विधायक हत्याकांड की सुनवाई अंतिम दौर पर थी। मामले में आजमगढ़ के पूर्व ब्लाक प्रमुख ध्रुव उर्फ कुंटू सिंह, अखंड प्रताप सिंह ने गवाही देने से रोका था। अजीत की हत्या में जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह का नाम साजिश रचने में आया था। इस वारदात की साजिश एक साल पहले रची गई थी। लेकिन कोविड-19 के कारण पूरे देश में लॉक डाउन लग गया। वारदात टल गई। पुलिस ने इस हत्याकांड का खुलासा किया। शूटर गिरधारी लोहार को दिल्ली से गिरफ्तार किया। उसे कस्टडी रिमांड पर लिया गया। जिससे भागने के दौरान उसकी मुठभेड़ में मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में आठ पर आरोप पत्र दाखिल कर दिया है।
श्रवण साहू हत्याकांड: सआदतगंज के दालमंडी इलाके में एक फरवरी 2017 की शाम करीब 7 बजे बाइक सवार बदमाशों ने तेल कारोबारी श्रवण साहू (62) की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी। वारदात से कुछ दिन पहले शातिर अपराधी व पुलिस के मुखबिर अकील ने क्राइम ब्रांच के दरोगा व पुलिसकर्मियों से मिलकर फर्जी मामले में श्रवण साहू को जेल भेजने की साजिश रची थी। बाइक सवार बदमाशों ने इस वारदात को अंजाम दिया। श्रवण जान बचाकर दुकान के अंदर की तरफ भागे तो बदमाश उन्हें दौड़ाकर गोलियां बरसाते रहें। श्रवण के सिर, गले और पेट पर तीन गोलियां लगीं और खून से लथपथ होकर वहीं गिर पड़े।
मीडियाकर्मी बनकर रेता था कमलेश तिवारी का गला: हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या 18 अक्तूबर 2019 को दिनदहाड़े की गई। नाका के खुर्शेदबाग इलाके में उन्होंने अपने आवास में ही कार्यालय बना रखा था। उनका इंटरव्यू लेने के बहाने गुजरात के यूसुफ खान और हाशिम अली पहुंचे। बातचीत के दौरान ही गला रेतकर हत्या कर दी।