यूपी के प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और भाई अशरफ की हत्या में आरोपी पानीपत में जन्में एक शूटर अरुण के बारे में लगातार नए-नए खुलासे हो रहे हैं। जानकारों की मानें तो फरवरी 2022 में कट्टे के साथ पकड़े जाने पर अरुण को जेल हुई थी, लेकिन जमानत पर बाहर आने के बाद उसका अंदाज बदल गया था।

 

 

 

अतीक हत्याकांड में शामिल एक शूटर अरुण मौर्य पानीपत के विकास नगर-एनएफएल में अपने चाचा सुनील और दादा मथुरा प्रसाद के साथ रहता था। जबकि उसके पिता दीपक कुमार और मां केला देवी यूपी के पैतृक गांव कादरवाड़ी चले गए थे। अरुण मौर्य पानीपत में रहकर कुटानी रोड स्थित एक फैक्टरी में सिलाई का काम करता था।

स्टीचिंग का काम कर 10 हजार रुपये तक कमाने वाला अरुण अब महंगे कपड़े-जूते और होटलों में खानपान का शौकीन हो गया था। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता था कि वह 10 हजार के जूते पहनता था। वह कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई से प्रभावित था और उसके गुर्गों के संपर्क में रह उससे मिलने की जुगत में लगा रहता था।

 

 

 

इससे वह बामुश्किल 10 हजार रुपये महीना कमा पाता था। ऐसे में अपराधी प्रवृत्ति का अरुण हमेशा कुछ बड़ा करने की बात कहता रहता था। शायद उसकी यही सोच उसे अतीक और अशरफ की हत्या की राह पर ले गई।

इससे पहले सीआईए-टू पानीपत ने उसे चार फरवरी 2022 को कट्टे के साथ गिरफ्तार कर लिया, लेकिन जेल में जाकर सुधरने की बजाय वह अपराध के दलदल में फंस गया। यही कारण है कि जमानत पर रिहा होने के बाद उसने यूपी के भाटी गैंग और लारेंस बिश्नोई गैंग के गुर्गों से संपर्क किया।

 

इसके बाद लारेंस बिश्नोई से संपर्क करने का लगातार प्रयास करता रहा, लेकिन उसकी बातचीत नहीं हो पाई। इस बीच अचानक माफिया अतीक और अरशफ की हत्या के बाद न सिर्फ उसके परिजन बल्कि अन्य जानकार भी हतप्रभ है।