जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 2017 में उत्तर प्रदेश में बदली सरकार के साथ अतीक अहमद की मुश्किलें बढ़नी शुरू हुईं, जो उसकी मौत के साथ ही खत्म हुईं। अतीक अहमद को जब गुजरात की साबरमती जेल ले जाया गया, तो उसके गुर्गों ने साबरमती और आसपास के इलाकों में अपना ठिकाना बनाना शुरू कर दिया…
उत्तर प्रदेश के माफिया अतीक अहमद को इस बात का एहसास तो था कि योगी आदित्यनाथ की सरकार में उसके दिन लदने शुरू हो जाएंगे। लेकिन हालात ऐसे आ जाएंगे कि उसको अपना धंधा न सिर्फ यूपी से समेटना पड़ेगा, बल्कि अपने धंधे में बदलाव भी करना पड़ेगा, इस बात का इल्म अतीक अहमद को बिल्कुल नहीं था। लेकिन हालात बदलने के साथ उसने न सिर्फ उत्तर प्रदेश से खुलेआम फिरौती और अपहरण जैसे धंधे से मुंह मोड़ना पड़ा, बल्कि अपने ‘सेकंड होम’ के तौर पर महाराष्ट्र, राजस्थान और जेल में बंद रहने के दौरान गुजरात में मजबूत नेटवर्क बनाना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक कभी अतीक के इशारे पर उसके गुर्गे पानी की तरह पैसा बहा देते थे। लेकिन बदले हालात में उन लोगों ने न सिर्फ अतीक को बल्कि उसके बेटों को भी तवज्जो देनी बंद कर दी थी।
सबसे पहला धंधा छह साल पहले बदला
अतीक अहमद की मौत के बाद ऐसे कई राज खुल रहे हैं, जो इस बात का इशारा कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में उसकी कमर टूट चुकी थी और वह आपका नेटवर्क देश के अलग-अलग राज्यों में फैला रहा था। सूत्रों के मुताबिक अतीक अहमद में अपने अपराध के धंधे में बदलाव की योजना बनाई, जब उसको इस बात का एहसास हो गया कि जेल में बंद होने के बाद शायद ही वापस निकल सके। उत्तर प्रदेश पुलिस से जुड़े एक वरिष्ठ रिटायर्ड अधिकारी बताते हैं कि अतीक अहमद उत्तर प्रदेश में फिरौती और अपहरण के साथ-साथ लोगों की जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करने के अलावा हत्या और अन्य पेशेवर अपराधियों को संरक्षण देने का धंधा इंडस्ट्री के तौर पर करता था। लेकिन योगी सरकार के बाद में जब उसको जेल हुई, तो उसने अपने अपराध के धंधे में न सिर्फ नुकसान उठाना पड़ा बल्कि उसे यह अपना पेशेवर अपराध उत्तर प्रदेश से दूसरे राज्यों में शिफ्ट करने की योजना भी बनानी पड़ी।
जरायम की दुनिया से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अतीक अहमद ने सबसे पहला धंधा छह साल पहले बदला था। यह धंधा अतीक ने अवैध असलहों के व्यापार का शुरू किया था। सूत्रों का कहना है कि अतीक अहमद ने छह साल पहले पंजाब और जम्मू कश्मीर से पाकिस्तान की ओर से आने वाले असलहों को ठिकाने लगाकर एक ऑर्गेनाइज्ड गिरोह के तौर पर हथियार सप्लाई में हाथ आजमाना शुरू किया। इस दौरान अतीक ने पाकिस्तान और आईएसआई के आकाओं से न सिर्फ हाथ मिलाया बल्कि कश्मीर के आतंकी संगठनों और पंजाब के गिरोहों के साथ दोस्ती बढ़ानी शुरू की। जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अतीक अहमद के धंधों में टूट चुकी कमर के बाद उसको आगे बढ़ने के लिए ऐसे ही रास्तों की तलाश थी। इसलिए उसने अवैध जमीन पर कब्जे के साथ-साथ हथियारों की डीलिंग में खुद को और अपने गिरोह को शामिल करने की शुरुआत कर दी।
जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अतीक अहमद का काला कारोबार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर प्रयागराज और देश के अलग-अलग राज्यों के शहरों में फैला हुआ था। लेकिन अतीक अहमद काली कमाई उत्तर प्रदेश से ही करके इन राज्यों में अपने हाथ फैला रहा था। 2017 में उत्तर प्रदेश में जब सरकार बदली तो अतीक अहमद की मुश्किलें भी बढ़नी शुरू हुईं, जो उसकी मौत के साथ ही खत्म हुईं। सूत्र बताते हैं कि अतीक अहमद को जब गुजरात की साबरमती जेल ले जाया गया, तो उसके गुर्गों ने साबरमती और आसपास के इलाकों में अपना ठिकाना बनाना शुरू कर दिया। हालांकि साबरमती और आसपास के इलाकों में अतीक अहमद और उसके गुर्गों को वो बढ़त नहीं मिली, जो उसे उत्तर प्रदेश में मिलती थी। यही वजह रही अतीक की खातिरदारी में लगे उसके गुर्गे और कुछ बड़े व्यापारियों ने अतीक के नेटवर्क गुजरात के पड़ोसी राज्य राजस्थान में बढ़ाना शुरू किया।
इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के धंधे में होना चाहता था शिफ्ट
जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अतीक का खौफ इतना था कि उसके सिमट रहे काले कारोबार के धंधे के बाद भी करोड़ों रुपये की धन उगाही उसका बेटा असद और पत्नी शाहिस्ता के माध्यम से हो जाती थी। लेकिन योगी सरकार की सख्ती के चलते अतीक खुद को न सिर्फ कमजोर मानने लगा था, बल्कि मुंबई और राजस्थान के बड़े बिल्डर और कंपनियों के साथ मिलकर इंपोर्ट-एक्सपोर्ट के काम में अपने बच्चों को लगाने की फिराक में जुट गया था। जांच एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वह देश के कुछ राज्यों में बड़ी मोटर गाड़ियों के शोरूम खोलने की कोशिश में लगा हुआ था। इसके लिए उसके कुछ पुराने लोग न सिर्फ मदद कर रहे थे, बल्कि अपने नेटवर्क के लोगों के धंधों में अतीक का पैसा लगवा कर सुरक्षित करने में भी लगे हुए थे। 2017 के बाद अतीक अहमद को उस तरह अपराध को करने के लिए खुले हाथ तो नहीं मिल सके, लेकिन उसका खौफ इतना था कि लोग डर के चलते उसको गुलाबी और सफेद पर्चियों के माध्यम से तय रकम भिजवा देते थे।