Half CA Web Series Review ओटीटी स्पेस में ऐसे कई शोज हैं जिनमें स्टूडेंट लाइफ की बात की गयी है। इनमें से कई शोज टीवीएफ ने बनाये हैं। इसी क्रम में अब हाफ सीए जारी किया गया है। कॉरपोरेट और बिजनेस को केंद्र में रखकर तो कई शोज बनाये गये हैं मगर सीए एग्जाम की तैयारियों पर पहली बार शो आया है।
भारतीय मध्यमवर्गीय परिवारों में बच्चे के स्कूल में दाखिले के साथ ही उसके करियर के विकल्पों पर माथापच्ची शुरू हो जाती है। बच्चा थोड़ा बड़ा होता है तो पैरेंट्स की नजर उसकी मार्कशीट पर गड़ी रहती है। मैथ में कितने आये, साइंस में परफॉर्मेंस कैसी है और करियर की इस आपाधापी में बेचारा कॉमर्स विषय कहीं पीछे छूट जाता है।
इंजीनियरिंग और डॉक्टर बनाने की चाहत में कॉमर्स हमेशा हाशिये पर चला जाता है। जो बच्चे इस ‘उपेक्षित स्ट्रीम’ से पढ़ाई करते भी हैं, उनकी मेधा को हमेशा साइंस वाले बच्चों की तुलना में संदेह की नजर से देखा जाता है और यह संदेह तब तक बरकरार रहता है, जब तक चार्टर्ड एकाउंटेंसी के एग्जाम में ना बैठना पड़े।
तैयारियों और हौसले की बात
साइंट स्ट्रीम वालों के लिए जिस तरह आइआइआइटी प्रवेश परीक्षा या एम्स की प्रवेश परक्षा होती है, सीए को पास करना उससे किसी भी तरह कम नहीं है। जिस तरह यूपीएससी की तैयारी में विद्यार्थी सालों गुजार देते हैं, सीए फाइनल करने में भी दिन-रात और महीनों की गिनती नहीं रहती।
अमेजन मिनी टीवी पर रिलीज हुई टीवीएफ की नई सीरीज हाफ सीए इस प्रोफेशन को चुनने वालों के सामने की तमाम चुनौतियों और इसके सामाजिक प्रभाव को दिखायी है। कॉमर्स चुनने वाले विद्यार्थियों को लेकर होने वाले तंज या ऐसे स्टूडेंट्स, जो सीए पूरा नहीं कर सके, उनके जाने-अनजाने मानसिक उत्पीड़न को पेश करती है।
विद्यार्थी जीवन में इस दौर से गुजरने वाले इन सभी भावनाओं से इत्तेफाक रखेंगे और कहीं ना कहीं अपनी तस्वीर देखेंगे। सीरीज का विषय कहीं-कहीं गंभीर लगता है, मगर इसका ट्रीटमेंट हल्का-फुल्का रखा गया है, जो टीवीएफ के शोज की यूएसपी रहती है।
कहानी के केंद्र में बचपन के दोस्त आर्ची और विशाल हैं। आर्ची सीए बनना चाहता है। विशाल, आर्ची के हर फैसले का समर्थन करता है। इन दोनों के अलावा कहानी में नीरज ग्रोवर का ट्रैक है, जो हाफ सीए है, यानी इंटर कर चुका है, मगर तमाम कोशिशों और मेहनत के बावजूद उसका फाइनल नहीं हो पा रहा।