शुरुआत में अच्छी बारिश होने से किसानों में यह उम्मीद थी कि इस बार धान की फसल के साथ ही सब्जियों की पैदावार भी अच्छी होगी लेकिन मौसम की बेरुखी से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। रोहनिया में धान सहित अरहर,मक्का, सनई चरी सहित हरी सब्जी की फसल भी मौसम की मार से सूख रही है।

इस बार समय से मानसून आया तो लगा कि अच्छी बारिश होगी। इससे गर्मी से राहत के साथ ही किसानों को अच्छी फसल होने की उम्मीद थी लेकिन उनकी उम्मीदों को बड़ा झटका है। किसानों ने धान की रोपाई तो समय से की लेकिन मानसून की बेरुखी की वजह से उनकी फसल सूख रही है। खेतों में भी दरार दिखने लगी है। उनको अपनी फसल बर्बाद होने की चिंता सताने लगी है। गांवों में टयूबवेल से भी सिंचाई की व्यवस्था है लेकिन बिजली कटौती इतनी हो रही है कि टयूबवेल भी नहीं चल पा रहे हैं। अब किसानों को बारिश का इंतजार है।

जून के अंतिम सप्ताह में मानसून के आने के बाद से किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी थी लेकिन जुलाई के दूसरे सप्ताह तक रूकरूक कर अच्छी बारिश होने के बाद अब दस दिन से बारिश नहीं हो रही है। सावन में जिस तरह की धूप हो रही है, उसको लेकर भी किसान बहुत परेशान हैं। राजातालाब, सेवापुरी, चिरईगांव, चौबेपुर, लोहता, रोहनिया आदि ग्रामीण इलाकों में किसानों ने जो धान की रोपाई की है, वहां खेत को उतनी नमी नहीं मिल पा रही है, जिससे फसल अच्छी हो। कई जगहों पर तो खेतों में दरार पड़ने के साथ ही पहले से रोपे गए पौधे भी अब हरा होने के बजाय पीले पड़ने लगे हैं। राजातालाब के सिहोरवा, नरोत्तमपुर, पनियरा, धानापुर आदि जगहों के किसान परेशान हैं। किसान सतीश सिंह,गोल्डी सिंह ,जितेंद्र द्विवेदी,ओम प्रकाश दुबे, अमरेश्वर नारायण सिंह, मनीष,प्यारे लाल पटेल, नारायण पटेल का कहना है कि धान के खेत में पड़ रही दरारों से बड़ा नुकसान हो जाएगा। सेवापुरी के अधिकांश जगहों पर तो नलकूप भी पानी छोड़ दे रहे हैं। जलस्तर नीचे चला गया है वहीं धान की फसल पूरी तरह से सूखने के कगार पर पहुंच गए हैं। किसान लालजी पटेल का कहना है कि यदि बरसात नहीं होती है तो खेती के साथ ही पेयजल संकट हो जाएगा। चिरईगांव में भी रोपित धान के खेतों में दरारें पड़ गयी है। फसलें सूखने लगीं हैं, जिस वजह से किसान परेशान हैं। छितौना के कमला यादव, मुस्तफाबाद के राजेन्द्र सिंह, उकथी के प्रेम शंकर मौर्य, पाण्डेयपुर के भैरो मौर्य आदि किसानों का कहना है कि बारिश न होने से धान सूख जाएगा।

टयूबवेल को नहीं मिल रही पर्याप्त बिजली, सूख गई फसल

जिले में बिजली की कटौती का असर किसानों के फसलों पर भी पड़ रहा है। वैसे तो शहरी क्षेत्र में 24 और ग्रामीण क्षेत्रों में 20 घंटे बिजली आपूर्ति का निर्देश है लेकिन इसका पालन नहीं हो पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी खूब कटौती हो रही है,साथ ही लो वोल्टेज की समस्या भी बनी है। इसका असर है कि टयूबवेल भी नहीं चल पा रहे हैं। किसान उपकेंद्रों पर इसकी शिकायत भी कर रहे हैं लेकिन राहत नहीं मिल पा रही है। लोहता क्षेत्र में तो बिजली कटौती के साथ ही लो वोल्टेज से किसान परेशान हैं। इस कारण नलकूप न हीं चल पा रहा है। किसान बोल्टेज सही होने का इंतजार करते हैं। कछवा केलक्ष्क्षापुर के किसान दीनानाथ सिंह का कहना है खेतों की सिंचाई के लिए सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक बिजली आपूर्ति का निर्देश है लेकिन आए दिन जर्जर तार टूटने सहित अन्य खराबी की वजह से आपूर्ति बाधित रहती है।

सब्जियों को भी नुकसान

शुरुआत में अच्छी बारिश होने से किसानों में यह उम्मीद थी कि इस बार धान की फसल के साथ ही सब्जियों की पैदावार भी अच्छी होगी लेकिन मौसम की बेरुखी से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। रोहनिया में धान सहित अरहर,मक्का, सनई चरी सहित हरी सब्जी की फसल भी मौसम की मार से सूख रही है। दरेखू के किसान दुर्गा ,कांता मौर्या ,मनिंदर सिंह अखरी के सुरेश सिंह ,दिनेश तिवारी , श्रीधर पांण्डेय ने बताया कि अगर एक सप्ताह मौसम इसी तरह रहा तो काफी नुकसान होगा। पैदावार भी प्रभावित होगी लागत निकालना भी मुश्किल होगा। उधर कछवा में खेतों को पर्याप्त पानी न मिलने से टमाटर व हरी मिर्च की रोपाई नहीं हो पा रही है।

किसान उमाशंकर पटेल का कहना है कि बारिश के इंतजार में टमाटर की रोपाई नहीं हो सकी। धान की जो रोपाई हुई थी, वह भी सूख रही है। सेवापुरी ब्लाक के ठटरा चित्रसेनपुर, गुड़िया, बिहड़ा, डोमैला, मिल्कीपुर आदि गांवों के किसान बारिश न होने से परेशान है।

इस माह मानक से कम

जून महीने से सितंबर माह तक का समय मानसून का माना जाता है। इन चारों माह में कुल 901 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए। जून में 111, जुलाई 294, अगस्त 264 जबकि सितंबर माह में 232 मिलीमीटर बारिश का मानक है। इस महीने की अगर बात करें तो मानक अभी पूरा नहीं हो पाया है। जुलाई माह में 294 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए लेकिन अब तक 250 मिलीमीटर बारिश ही हो पाई है। अब जबकि चार दिन ही महीने में शेष है, ऐसे में अगर बारिश नहीं हुई तो मानक भी नहीं पूरा हो जाएगा। बीएचयू के मौसम वैज्ञानिक प्रो. मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि जिस तरह का मौसम बना है उसके अनुसार एक दो दिन बाद से मानसून की सक्रियता फिर से देखने को मिल सकती है। अच्छी बारिश के भी आसार हैं।
एक नजर में आंकड़ा

खरीफ की फसल का लक्ष्य 68,896 हेक्टेयर

धान की रोपाई का लक्ष्य 48,692 हेक्टेयर

दलहनी, तिलहनी, मोटे अनाज बुवाई का लक्ष्य 20,204 हेक्टेयर

अब तक हुई बुवाई 33 हजार हेक्टेयर (70 प्रतिशत)

करीब 23 हजार हेक्टेयर खेत खाली कृषि विभाग ने किसानों से मोटे अनाज के बीज बोने की सलाह दी है।

धान के 15 हजार अधिक हेक्टेयर खेत तैयार कर किसान बादलों की बाट जोह रहे हैं। इसी तरह अन्य फसलों के खाली रह गए।

कम वर्षा को देखते हुए मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसानों को परामर्श दिया जा रहा है कि जहां सिंचाई की पर्याप्त सुविधा न हो, उन खेतों में वे ज्वार, बाजरा, अरहर, मक्का आदि बो दें। यदि दो-चार दिन और वर्षा न हुई तो किसानों को इस ओर कदम बढ़ाना चाहिए। वे कम पानी में भी पर्याप्त उपज ले सकते हैं।

-संगम सिंह, जिला कृषि अधिकारी, वाराणसी