छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों चुनावी समर की तैयारी में जुटे हैं। वह युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं। राज्य में उनके नाम से जुड़ा एक नारा भी प्रचलित हो रहा है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि छत्तीसगढ़ में किन मुद्दों पर चुनावी समर में संग्राम होगा। कांग्रेस पार्टी के नेता ने इसके लिए कितनी तैयारी कर रखी है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनावी मोड में आ चुके हैं। संगठन और सरकार में लगातार बदलाव के साथ विपक्ष की नीतियों और नेताओं के प्रति उनकी आक्रमकता भी बढ़ती जा रही है।
छत्तीसगढ़िया संस्कृति और पर्वों के संरक्षक और प्रोत्साहक के रूप में अपनी छवि बनाने के बाद युवाओं के बीच ‘कका’ (काका) के रूप में पहुंच रहे हैं।
मतदाताओं को लुभाने में किसान और धान मजबूत विषय बन चुके हैं तो सरकारी कर्मचारियों को केंद्र के समान महंगाई भत्ता देकर हितैषी बनने का प्रयास है।
भगवान राम और गोवंश के मुद्दे पर ऐसी रणनीति बनाई है कि भाजपा के लिए यह मुद्दा ही नहीं रह गया है। ‘कका अभी जिंदा है’ तथा ‘भूपेश है तो भरोसा है’ के नारों के बाद अब यह तय हो गया है कि अगला चुनाव छत्तीसगढ़ियावाद के मुद्दे पर लड़ा जाएगा।
प्रस्तुत हैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नई दुनिया, रायपुर के संपादकीय प्रभारी सतीश चंद्र श्रीवास्तव की विस्तृत बातचीत के प्रमुख अंशः
प्रश्न- विधानसभा चुनाव से पहले युवाओं को बेरोजगारी भत्ता और 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी का आपका फैसला क्या मास्टर स्ट्रोक है। इसका बोझ किस पर पड़ रहा है? उस वर्ग को समझाने के लिए आप क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर- यह एक अजीब किस्म का मुगालता लोगों के बीच था कि सरकार किसानों के लिए कार्य करेगी तो शहरी अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा। हुआ इसके ठीक विपरीत। जब हमने फसल के उचित मूल्य दिलाए तो किसान का पैसा शहर में भी खर्च हुआ और शहरी अर्थव्यवस्था गुलजार हुई। बेरोजगारों को भत्ता प्रदान करने से उनके लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना आसान हुआ है। उद्यम का रास्ता चुनना आसान हुआ है। जो थोड़ी सी राशि हम उन पर खर्च कर रहे हैं वे अपने उद्यम से छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा कर गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के सपने को पूरा करने की दिशा में हमारी मदद करेंगे।
प्रश्न- इस तरह की योजनाओं के कारण विकास कार्यों के लिए धन की कमी की बात आ रही है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने वर्ष 2023-24 के लिए नए बजट के बाद कहा है कि कांग्रेस की पांच गारंटियों के कारण विकास योजनाओं के लिए धन की कमी पड़ रही है?
उत्तर- मुझे कर्नाटक की स्थिति का नहीं बता। छत्तीसगढ़ में कल्याणकारी योजनाओं का प्रत्यक्ष लाभ हुआ है। उदाहरण के रूप में गोठान योजना को ही ले लें। बेहतर वित्तीय प्रबंधन और लगातार समीक्षा के कारण गोठानों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र के रूप में विकसित करने में सफलता मिली है। ग्रामीण महिलाओं के स्वयं सहायता समूह वनोपजों से तरह-तरह के उत्पाद तैयार कर रहे हैं। सरकारी संस्थाओं द्वारा उनकी मार्केटिंग की जा रही है। यहां तो गोबर और गो-मूत्र खरीदी भी लाभकारी होने लगी है। प्रदेश के गोठानों में लगभग दो लाख लीटर गोमूत्र की खरीदी की गई और उनसे निर्मित कीटनाशकों से 57 लाख रुपये से अधिक की आय हुई। यह दृष्टिकोण का विषय है।
प्रश्न- विषय ढांचागत विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य की योजना पर पड़ने वाले प्रभाव का है। ऐसी योजनाओं का उनपर क्या प्रभाव नहीं पड़ रहा?
उत्तर- लोकतांत्रिक सरकार सिर्फ लाभ कमाने वाली कंपनी नहीं हो सकती। गरीबों को मजबूत किया जाना अर्थव्यवस्था के लिए भी आवश्यक है। किसानों का साढ़े नौ हजार करोड़ रुपये माफ किया और 2,500 रुपये क्विंटल धान खरीदी की। उसके बाद भी विकास कार्यों में कहीं कोई कमी नहीं आई है। स्कूलों और अस्पताल निर्माण के काम में काफी तेजी आई है। 750 से अधिक अंग्रेजी और हिंदी माध्यम के आत्मानंद स्कूल शुरू किए जा चुके हैं। सरकारी कर्मचारियों के लिए बच्चों की पढ़ाई की चिंता नहीं है। वह कहीं भी स्थानांतरण से परेशान नहीं होते। शिक्षा, बिजली, स्वास्थ्य, पुलिस आदि विभागों में नियुक्तियां हुई हैं। आम आदमी की आमदनी बढ़ाने के साथ विकास कार्यों में भी तेजी आई है।
प्रश्न- यह कैसे संभव हो पा रहा है?
उत्तर- बजटीय प्रबंधन और वित्तीय अनुशासन बनाने के साथ आय के नए माध्यमों की तलाश की आवश्यकता है। वन, खदान, बिजली, भूमि से आय बढ़ाने का रास्ता खोजा गया। उदाहरण के लिए रजिस्ट्री फीस को कलेक्ट्रेट रेट से 30 प्रतिशत कम किए जाने से भवन निर्माण को नई गति मिली है। ग्रामीणों के पास पैसा पहुंच रहा है तो वह खरीदारी करके शहरी अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
प्रश्न- भाजपा किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए बिना पीएम मोदी के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने चुनाव की कमान संभाली है। मोदी-शाह की जोड़ी का कांग्रेस किस तरह जवाब देगी?
उत्तर- भाजपा के पास स्थानीय स्तर पर न तो नेता है और ना ही मुद्दे। जिसके कारण से वह मोदी शाह की जोड़ी पर निर्भर है। विपक्ष मुद्दाविहीन है। उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में ऐसा कुछ भी उल्लेखनीय नहीं किया, जिससे जनता इन्हें पुनः चुन सके। केंद्र सरकार ने जो बड़े-बड़े वादे देश को लेकर किए थे उसकी भी हवा निकल चुकी है। कर्नाटक की तरह छत्तीसगढ़ में भी मोदी-शाह की जोड़ी विफल रहेगी।
प्रश्न- प्रधानमंत्री की रायपुर की सभा में बैकड्राप में छत्तीसगढ़ महतारी की तस्वीर पर आपने ट्वीट किया है। इसपर आप क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर- देखिए, छत्तीसगढ़ की जनता की समझ बहुत गहरी है। वो नाटक और असलियत के अंतर को भलीभांति समझती है। छत्तीसगढ़ महतारी के प्रति उनका अनुराग इतने वर्षों से क्यों नहीं उमड़ा जब वे सत्ता में थे। 15 वर्ष से डा. रमन सिंह सत्ता में थे। उस समय भाजपा ने हरेली त्यौहार क्यों नही मनाया? जब मैंने प्रधानमंत्री की सभा का बैकड्राप देखा तो मेरे मन में विचार आया कि इन लोगों ने बैकड्राप तो छत्तीसगढ़ महतारी का जरूर लगाया है, लेकिन हम इतनी बार इनसे छत्तीसगढ़ महतारी के वाजिब अधिकारों के लिए मांग करते रहे और इन्होंने कुछ नहीं दिया।
प्रश्न- सरकार दावा करती है कि पिछले चुनाव के घोषणा पत्र के 90 प्रतिशत वायदे पूरे हो गए। एक वादा शराबबंदी का था, उस पर कब तक निर्णय हो जाएगा?
उत्तर- जैसा कि मैं हमेशा कहता रहा हूं, कोरोना काल में हमने देखा कि जब लोगों को शराब नहीं मिल पा रही थी तो वह सैनिटाइजर का उपयोग करने लगे थे। शराबबंदी के लिए हमने नीति बनाई है और उसके मुताबिक जागरूकता के माध्यम से शनै: शनै: प्रदेश में शराबबंदी लाएंगे ताकि इसका कोई नकारात्मक प्रभाव न हो।
प्रश्न- चुनाव में धान और किसान सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। इस बार किसानों को अपने पाले में लाने के लिए आप क्या कोई बड़ा दांव खेलने जा रहे हैं?
उत्तर- हम किसानों की राजनीति नहीं करते। किसानों का दर्द समझते हैं। छत्तीसगढ़ की जनता यह जानती है कि किसान के लिए कोई पार्टी यदि देश में सबसे ज्यादा काम कर सकती है तो वो केवल कांग्रेस है। भाजपा का काम केवल लोगों को भ्रमित करना और लड़ाना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2016 में किसानों की आय दोगुनी करने का वायदा किया था। क्या किसानों की आय दोगुनी हुई ? वर्ष 2016-17 में भाजपा सरकार किसानों से मात्र 50-55 हजार टन धान की खरीदी करती थी। आज यह आंकड़ा बढ़कर एक लाख सात हजार टन से अधिक हो गया है।
प्रश्न- क्या चुनाव में आपका छत्तीसगढ़ियावाद मुद्दा बनेगा। आपने सरकार में आने के बाद हरेली की छुट्टी दी और छत्तीसगढ़िया ओलंपिक शुरू किया। इसका क्या असर देखने को मिल रहा है?
उत्तर- बिल्कुल हमारा नारा होगा- न जात पर, न पात पर, छत्तीसगढ़िया की बात पर, मोहर लगेगी हाथ पर। हम सबको अपनी संस्कृति पर गौरव होना चाहिए। हम ऐसे लोगों को क्यों अपना नेतृत्व सौंपे जिनको हमारे बोली-भाषा, हमारे त्यौहारो को मनाने में हीनता बोध होता है। हमारी पहचान छत्तीसगढ़िया होने में हैं और इसे लेकर हमें बहुत गौरव है।
प्रश्न- आपने राम वन गमन पथ को सरकार का प्रमुख एजेंडा बनाया। क्या इसे भाजपा के राम मंदिर की काट के रूप में देखा जाए?
उत्तर- भगवान श्रीराम को लेकर राजनीति तो भाजपा करती है। छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है। श्रीराम तो हमारे भांचे (भांजे) हैं। हमने अपने भांचा के वन गमन की स्मृतियों को संजोने के लिए यह कार्य किया है। इसके पीछे किसी तरह की राजनीतिक मंशा नहीं है। दरअसल भाजपा ने भगवान राम को राजनीति का मुद्दा बनाकर लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ किया है और सत्ता हासिल की है। हम सब जानते है कि भगवान राम ने अपने वनवास काल के लगभग 10 वर्ष छत्तीसगढ़ में बिताए। भगवान राम छत्तीसगढ़ के जनजीवन में रचे बसे हैं।
प्रश्न- प्रदेश में ईडी की कार्रवाई चल रही है। कोयला परिवहन घोटाला और शराब घोटाला की जांच ईडी कर रही है। कई विधायक और अधिकारियों ने पूछताछ हुई। आप पूरे मामले को राजनीतिक बताते हैं। वास्तविकता क्या है?
उत्तर- सवाल केवल छत्तीसगढ़ का नहीं है। जहां कहीं भी विपक्ष की सरकारें हैं, वहां पर ईडी मौजूद है। यह एजेंसी केंद्र सरकार के इशारे पर गैर भाजपाई सरकारों और जनप्रतिनिधियों पर झूठे मामले बनाकर परेशान करना चाह रही है। राहुल जी की भारत जोड़ो यात्रा तथा कर्नाटक में कांग्रेस की जीत से भाजपा बौखला गई है और गंदी राजनीति पर उतारू हो गई है। भाजपा हम पर शराब घोटाले का आरोप लगा रही है, जबकि उसके शासनकाल में ही सरकार ने शराब बेचना आरंभ किया। जहां भाजपा के समय शराब से आने वाला राजस्व वर्ष 2017-18 में 3,900 करोड़ रुपये का था, वही अब यह राजस्व बढ़कर 6,000 करोड़ रुपये हो गया है। जिस केंद्र सरकार को अडाणी चला रहे हैं, जिनके इशारे पर देश की कोयला नीति तैयार हो रही है, वह हम पर कोयला घोटाले का आरोप लगाए, यह हास्यास्पद है।
प्रश्न- पीएम आवास आम आदमी से जुड़ा मुद्दा है। भाजपा आरोप लगा रही है कि केंद्र की राशि का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। इस मुद्दे को किस तरह देखते हैं?
उत्तर- हमने तो बजट में उन लोगों के लिए भी आवास के रास्ते खोल दिए, जो केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक पीएम आवास की पात्रता नहीं रखते थे। ग्रामीण क्षेत्रों में हमने मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना आरंभ की है। हमने अपने बजट में इसमें 1,000 करोड़ रुपये का प्रविधान रखा है। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में उन हितग्राहियों के आवास बन सकेंगे, जो पुरानी सूची के अनुसार पीएम आवास की पात्रता नहीं रखते लेकिन जो आवासहीन हैं। हमने राज्य के शहरी क्षेत्र में `मोर जमीन मोर मकान` के तहत 2.20 लाख तथा `मोर जमीन मोर चिन्हारी` योजना के तहत 55 हजार आवास स्वीकृत किए हैं। इनका निर्माण और आवंटन तेजी से किया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आठ लाख 62 हजार आवासों का निर्माण पूरा कराया है। आवासों के निर्माण के लिए 3,200 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है।
प्रश्न- प्रदेश में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए आप अपने दावे करते हैं। केंद्र की भाजपा सरकार अपने दावे करती है। किसका दावा सच है, यह जनता को कैसे पता चलेगा?
उत्तर- आप देखें जब केंद्र के साथ-साथ राज्य में भी भाजपा सरकार थी, तब नक्सलवाद अपने चरम पर था। अब जब पिछले पौने पांच सालों से हमारी सरकार आई है, विश्वास, विकास और सुरक्षा की हमारी नीतियों के चलते नक्सल घटनाओं में काफी कमी आई है और बस्तर में अधिकांश इलाके शांति का टापू बन गए हैं। बीते पौने पांच वर्षों में हम राज्य के नक्सल प्रभावित 11 जिलों के 756 गांव नक्सल प्रभाव से मुक्त कराने में सफल रहे है। वर्ष 2016, 2017, 2018 की रिपोर्ट देखे तो आप पाएंगे कि उस दौरान राज्य में प्रति वर्ष नक्सल हिंसा की घटनाओं का आंकड़ा 500 के पार हुआ करता था। आज की स्थिति में यह आंकड़ा घटकर दहाई के अंकों में सिमट गया है। वर्ष 2019 में राज्य में 300 नक्सल घटनाएं हुई थी। साल दर साल इसमें कमी होती गई। वर्ष 2023 में अभी तक मात्र 25 घटनाएं हुई हैं। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि राज्य में नक्सलवाद को रोकने में हम किस तरह कामयाब हुए हैं।
प्रश्न- पिछले कुछ दिनों से आप डिजिटल मीडिया की उपयोगिता और फेक न्यूज को लेकर काफी मुखर हैं। कोई खास वजह?
उत्तर- वाट्सएप यूनिवर्सिटी युवाओं को गुमराह कर रही है। इसका उपयोग प्रोपगैंडा सेट करने के लिए किया जा रहा है। पंडित नेहरू के बारे में वाट्सएप यूनिवर्सिटी में कितनी आग उगली जाती है। यह ऐसे व्यक्ति के बारे में दुष्प्रचार करता है जिसने अपने जीवन के नौ साल जेल में बिताए। उन्होंने युवा के रूप में 1930 में लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का नारा दिया। युवा शक्ति को इस युवा के बारे में बताना चाहिए जिसने कठिन संघर्ष करते हुए देश का नवनिर्माण किया। जिसने आइआइटी, आइआइएम और बार्क स्थापित किए। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की नींव रखी। डिस्कवरी आफ इंडिया लिखा, ग्लिंप्सेस आफ वर्ल्ड हिस्ट्री लिखी। हमें मूल किताबों का अध्ययन करना चाहिए। जब यह प्रोपगैंडा चल रहा था तब हमने नेहरू जी के योगदान पर भिलाई में एक कार्यक्रम किया। उसमें वक्ताओं ने जो पंडित नेहरू के बारे में बताया, वो युवाओं को चकित करने वाला था। मैं हमेशा कहता हूं कि हमेशा ज्ञान की तलाश में और सच्चाई की तलाश में हमें मूल स्रोतों की ओर जाना चाहिए। हर प्रोपगैंडा की तह तक जाना चाहिए। तथ्यात्मक और विश्वसनीय सूचनाएं इस समय की सबसे बड़ी जरूरत हैं।