दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में आयोजित हथकरघा दिवस के संबोधन में मोदी ने कहा कि हम अपने हैंडलूम खादी व टेक्सटाइल सेक्टर को व‌र्ल्ड चैंपियन बनाना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए श्रमिक बुनकर डिजायनर व इंडस्ट्री सबको एकनिष्ठ प्रयास करने होंगे। टेक्सटाइल सेक्टर में उद्यमियों के लिए बहुत बड़ा अवसर है और उन्हें लोकल सप्लाई चेन पर निवेश करना ही होगा क्योंकि यही विकसित भारत के निर्माण का रास्ता है।

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर सोमवार को देश के सैकड़ों बुनकरों व टेक्सटाइल सेक्टर के उद्यमियों के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण के संकल्प के सामने कुछ बुराइयां रोड़ा बनी हुई हैं। इन बुराइयों में भ्रष्टचार, परिवारवाद व तुष्टिकरण शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि एक दिन बाद नौ अगस्त को ही भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था और बापू ने अंग्रेजों से साफ-साफ भारत छोड़ने के लिए कहा दिया था। वैसे ही भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण को भारत छोड़ना होगा। गौरतलब है कि विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए पर तंज करते हुए राजस्थान की एक रैली में भी यह बातें कही थीं।

हथकरघा दिवस पर पीएम का संबोधन

नई दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में आयोजित हथकरघा दिवस के संबोधन में मोदी ने कहा कि हम अपने हैंडलूम, खादी व टेक्सटाइल सेक्टर को व‌र्ल्ड चैंपियन बनाना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए श्रमिक, बुनकर, डिजायनर व इंडस्ट्री सबको एकनिष्ठ प्रयास करने होंगे। टेक्सटाइल सेक्टर में उद्यमियों के लिए बहुत बड़ा अवसर है और उन्हें लोकल सप्लाई चेन पर निवेश करना ही होगा क्योंकि यही विकसित भारत के निर्माण का रास्ता है। इससे स्वदेशी के साथ पांच ट्रिलियन इकोनमी बनने के सपने साकार होंगे।

13 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले पांच सालों में 13 करोड़ लोग भारत में गरीबी से बाहर निकले हैं और इस काम में खादी ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। वोकल फार लोकल की भावना के साथ खादी व स्वदेशी उत्पाद एक जन आंदोलन बन गया है। नौ साल पहले खादी ग्रामोद्योग का कारोबार 25-30 हजार करोड़ का था जो आज 1.30 लाख करोड़ रुपए से अधिक का हो गया है। उन्होंने कहा कि जो मेक इन इंडिया को बल देता है, उनके लिए खादी वस्त्र ही नहीं अस्त्र व शस्त्र भी है।

टेक्सटाइल से जुड़ी जो परंपराएं जिंदा रहें

मोदी ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़ी जो परंपराएं हैं, वे ना सिर्फ जिंदा रहें, बल्कि नए अवतार में दुनिया को आकर्षित करें। इसलिए हम इस काम से जुड़े साथियों को और उनकी पढ़ाई, प्रशिक्षण और कमाई पर बल दे रहे हैं। बुनकरों के बच्चों की स्किल ट्रेनिंग के लिए उन्हें टेक्सटाइल इंस्टीट्यूट में दो लाख रुपए तक की स्कॉलरशिप मिल रही है। पिछले 9 वर्षों में 600 से अधिक हैंडलूम क्लस्टर विकसित किए गए हैं। उन्हें कंप्यूटर से चलने वाली पंचिंग मशीनें भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे नए-नए डिजायन तेजी से बनाए जा सकते हैं।

सामान बेचने के लिए सप्लाई चेन की दिक्कत

उन्होंने कहा कि बुनकर समाज उत्पाद तो बना लेता हैं, लेकिन उसे बेचने के लिए उन्हें सप्लाई चेन की दिक्कत आती है। मार्केटिंग की दिक्कत आती है। हमारी सरकार उन्हें इस समस्या से भी बाहर निकाल रही है। सरकार हाथ से बने उत्पादों की मार्केटिंग पर भी जोर दे रही है। देश के किसी ना किसी कोने में हर रोज एक मार्केटिंग प्रदर्शनी लगाई जा रही है। प्रगति मैदान के भारत मंडपम की तरह ही देश के अनेक शहरों में प्रदर्शनी स्थल आज निर्माण किए जा रहे हैं। इसमें दैनिक भत्ते के साथ ही निशुल्क स्टॉल भी मुहैया कराया जाता है।