गुड़ी पड़वा एक मराठी शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘गुड़ी’ जिसका अर्थ है भगवना ब्रह्मा का ध्वज जिसे समृ्द्धि का प्रतीक माना जाता है। और ‘पड़वा’ का अर्थ है चंद्रमा के चरण।
आज से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत हो गई है। विक्रम संवत 2080 की शुरुआत आज से हो गई है। महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि आज आभूषणों की खरीदारी करना शुभ होता है। यही वजह है कि आज सोने-चांदी के शोरूम में लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है। दरअसल महंगाई के जमाने में सोने का दाम आसमान छू रहा है। लेकिन इस त्योहार पर लोगों ने महंगाई को दरकिनार कर दिया है और जमकर आभूषणों की खरीदारी कर रहे हैं। शोरूम पहुंचे लोगों से जब महंगाई और सोने खरीदारी को लेकर सवाल किया गया तो लोगों का कहना था कि आज के दिन कितना भी महंगा हो जाए सोना, खरीदारी तो जरूर करेंगे। क्योंकि ऐसी परंपरा चली आ रही है कि नव वर्ष के दिन आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है, इसलिए इस दिन लोग कीमत की परवाह नहीं करते।
आज के दिन कीमत की परवाह नहीं करते
वहीं आभूषण विक्रेताओं का कहना था कि सोने की कीमत ज्यादा होने के बावजूद ग्राहक अच्छी संख्या में खरीदारी करने पहुंच रहे हैं। हर व्यक्ति कुछ ना कुछ खरीद कर यहां से ले जा रहा है। लोग आज के दिन कीमत की परवाह नहीं करते। हिंदू नव वर्ष के दिन ऐसी परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है कि गुड़ी पड़वा के दिन आभूषण खरीदना चाहिए जिसके तहत लोग यहां पहुंच रहे हैं।
जानें ‘गुड़ी पड़वा’ का अर्थ
बता दें, गुड़ी पड़वा को संवत्सर पड़वो के नाम से भी जाना जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है नए साल का पहला दिन। उत्तर भारत में इसी दिन चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो रही है। गुड़ी पड़वा एक मराठी शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘गुड़ी’ जिसका अर्थ है भगवना ब्रह्मा का ध्वज जिसे समृ्द्धि का प्रतीक माना जाता है। और ‘पड़वा’ का अर्थ है चंद्रमा के चरण।