हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस विशेष दिन पर स्नान दान और पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा तिथि के दिन दान और सेवा कार्य करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं सावन अधिक मास में पूर्णिमा तिथि कब है और इस तिथि का क्या महत्व है?
वर्ष 2023 में सावन मास का विशेष महत्व है। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिक मास के करण सावन का महीना 59 दिनों का है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन मास में देवी-देवताओं की उपासना करने से और व्रत-उपवास रखने से विशेष लाभ मिलता है। बता दें कि इस साल सावन में अधिक मास के कारण दो अमावस्या तिथि और दो पूर्णिमा तिथि पड़ रही है।
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस विशेष दिन पर भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से और कथा सुनने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं, कब रखा जाएगा अधिक मास में सावन पूर्णिमा 2023 व्रत, शुभ मुहूर्त और महत्व।
सावन अधिक पूर्णिमा 2023 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण अधिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 01 अगस्त को सुबह 05 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और 02 अगस्त सुबह 01 बजकर 31 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में श्रावण अधिक पूर्णिमा व्रत 01 अगस्त 2023, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन श्रावण मास का तृतीय मंगला गौरी व्रत भी रखा जाएगा।
सावन अधिक पूर्णिमा 2023 पूजा शुभ मुहूर्त
पंचांग में बताया गया है कि श्रावण अधिक पूर्णिमा तिथि के दिन तीन अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस विशेष दिन पर प्रीति योग और आयुष्मान योग बनेगा। वहीं उत्तराषाढ़ नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है। इस दिन प्रीति योग रात्रि 08 बजकर 23 मिनट तक रहेगा और इसके बाद आयुष्मान योग का शुभारंभ हो जाएगा। वही उत्तराषाढ़ा नक्षत्र शाम 05 बजकर 33 मिनट तक रहेगा और इसके बाद श्रवण नक्षत्र शुरू हो जाएगा।
सावन अधिक पूर्णिमा तिथि महत्व
बता दें कि श्रावण मास में पड़ रहे प्रथम पूर्णिमा तिथि के दिन पूर्णिमा व्रत और मंगला गौरी व्रत का अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है। इस विशेष दिन पर स्नान, दान और पूजा-पाठ के साथ-साथ माता पार्वती और भगवान शिव की उपासना का सौभाग्य प्राप्त होगा। ऐसे में विशेष दिन पर पूजा-पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी और उन्हें जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
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