डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को मिली फरलो का किसी दल को फायदा हुआ या नुकसान, यह तो हालांकि 10 मार्च को विधानसभा चुनाव नतीजों के दिन पता चलेगा, लेकिन फरलो के बाद से डेरा प्रमुख सुर्खियों में है। साध्वियों के यौनशोषण और हत्या के दो अलग-अलग मामलों में सजायाफ्ता गुरमीत राम रहीम को ‘हाई सिक्योरिटी’ के साथ जेल से बाहर निकाला गया था।

गुरमीत राम रहीम सिंह को तीन सप्ताह की फरलो मिली हुई है। वह सात फरवरी को रोहतक जिले की सुनारिया जेल से बाहर निकला और 28 फरवरी की शाम तक वापस जेल पहुंच जाएगा। डेरा प्रमुख की जान को खतरा मानते हुए सरकार ने उसे जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दे दी थी। गुरमीत राम रहीम को खालिस्तान समर्थकों व सिख चरमपंथियों से जान का खतरा बताते हुए सीआइडी चीफ ने रोहतक मंडल के आयुक्त को इस बाबत पत्र भी लिखा था। इससे पहले गुरुग्राम के डीसी की ओर से पुलिस रिपोर्ट के आधार पर फरलो को लेकर क्लीन चिट दी गई थी।

गुरुग्राम के डीसी ने रोहतक के मंडलायुक्त को लिखे पत्र में कहा था कि राम रहीम को फरलो पर बाहर निकालने पर गुरुग्राम पुलिस को कोई आपत्ति नहीं है। यानी राम रहीम को फरलो पर बाहर निकालते वक्त फूलप्रूफ तैयारी की गई थी। बताया जाता है कि पिछले दिनों पंजाब के सीआइडी चीफ की ओर से भी हरियाणा सरकार को राम रहीम की सिक्योरिटी को लेकर लिखे गए पत्र में चिंता जाहिर की गई थी। उस समय राम रहीम पर हमला होने की आशंका जताई गई थी।

खुफिया एजेंसियों ने रिपोर्ट दी थी कि डेरा प्रमुख पर ड्रोन से हमला किया जा सकता है, इसलिए उसकी सुरक्षा में किसी तरह का रिस्क नहीं लिया जाना चाहिए। केंद्र की इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी) की ओर से भी इस बाबत इनपुट राज्य सरकार को दिया गया था। इसके बाद ही सरकार ने राम रहीम को जेड प्लस सुरक्षा देने का फैसला लिया है। हरियाणा सरकार शुरू से ही कहती आई है कि पैरोल व फरलो पर जाने का अधिकार हर कैदी के पास है।

राम रहीम को दो साध्वियों के साथ यौन उत्पीड़न मामले में 10-10 साल की सजा सीबीआइ की विशेष अदालत द्वारा सुनाई गई है। दोनों सजा अलग-अलग चलेंगी। इसी तरह, पत्रकार रामचंद्र छत्रपति और रणजीत सिंह मर्डर केस में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। अलग-अलग मामलों में चार सजा होने के चलते जेल प्रशासन की ओर से एडवोकेट जनरल (एजी) से कानूनी सलाह ली गई थी।

एडवोकेट जनरल से पूछा गया था कि राम रहीम को हार्डकोर क्रिमिनल की कैटेगरी में रखा जाए या नहीं। तब एडवोकेट जनरल ने अपनी राय में कहा था कि हत्याओं के दोनों मामलों में राम रहीम सिंह धारा 302 में दोषी नहीं पाया गया, बल्कि उसे 120बी के तहत उम्रकैद की सजा हुई है। ऐसे में उसे हार्डकोर क्रिमिनल नहीं माना जा सकता।