केस-1: बन्नादेवी क्षेत्र निवासी पंडित केशव देव शर्मा ने अलीगढ़ विकास प्राधिकरण से जुड़ी एक शिकायत आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज कराई। हैरत की बात है कि विभाग ने उनको बिना बताए ही शिकायत का निस्तारण कर ऑनलाइन अपलोड कर दिया।

केस-2: आगरा रोड निवासी पारूल चौधरी ने स्वास्थ्य विभाग मथुरा से संबंधित शिकायत आईजीआरएस पोर्टल पर दर्ज कराई। इस शिकायत में भी विभाग ने फरियादी को बिना बताए ही निस्तारण कर दिया।

ट्रांसफर-पोस्टिंग में धांधली, सरकारी योजनाओं में गड़बड़झाला, बजट में बंदरबांट के मामले तो सुनने को मिलते ही रहते हैं। अब तो अफसरों ने सीएम पोर्टल पर होने वाली शिकायतों में भी खेला करना शुरू कर दिया है। अलीगढ़ में बीते एक माह में 3105 शिकायतों के फरियादियों से लखनऊ स्तर पर लिए गए फीडबैक में 2281 फरियादी असंतुष्ट पाए गए।

फरियादी को पता भी नहीं और अफसरों ने शिकायत का निस्तारण कर रिपोर्ट भी लगा दी। इसके चलते जनपद की रैंक तीन माह में 18 से लुढ़ककर 66 पर पहुंच गई है। इससे साफ है कि शिकायतों के निस्तारण में अफसर रूचि नहीं ले रहे हैं।

फरियादियों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ें। इसके लिए ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने के लिए आईजीआरएस पोर्टल की व्यवस्था की गई। जिस पर कोई भी फरियादी अपनी शिकायत ऑनलाइन अपलोड कर सकता है। इसके अलावा सीएम पोर्टल पर कॉल करके शिकायत दर्ज कराई जाती है।

इन शिकायतों का निस्तारण संबंधित विभाग को निर्धारित अवधि में करना होता। निस्तारण होने के बाद लखनऊ कंट्रोल रूम से फरियादी पर कॉल आती है। जिसमें पूछा जाता है कि आप निस्तारण से संतुष्ट हैं। अलीगढ़ में सीएम पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के निस्तारण के आंकड़े जब लखनऊ से जारी किए गए, तो उससे देख आला अधिकारी भी दंग रह गए।

3105 शिकायतों में 2281 में असंतोषजनक फीडबैक आया। शिकायतों का गलत निस्तारण इतिश्री कर ली गई। इतना ही नहीं आजीआरएस की 1862 में से 1481 शिकायतों में असंतोषजनक जवाब की रिपोर्ट लखनऊ से जारी की गई।