देशभर में संचालित ई-अदालतों पर एक संसदीय कमेटी ने चिंता जाहिर की है। राज्यसभा सांसद सुशील मोदी की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने शुक्रवार को बैठक की। इसमें शामिल सभी सदस्यों ने पार्टी लाइन से हटकर इलेक्ट्रॉनिक कोर्ट (E-Court) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि संसदीय पैनल ने शुक्रवार को एक बैठक के दौरान चिंता व्यक्त की कि इलेक्ट्रॉनिक कोर्ट (ई-कोर्ट) काउंटी में अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं। कई संसद सदस्यों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर अपनी चिंता व्यक्त की। सांसदों ने कहा कि सरकार ने ऐसी अदालतों के कामकाज के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने पर करीब सात हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन वे ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।
बताया जाता है कि कमेटी ने इस मामले में कानून मंत्रालय से जवाब भी मांगा है। इसी के आधार पर फिर से समीक्षा होगी। कुछ विपक्षी सांसदों ने अधिकारियों से राज्य की अदालतों, खासकर उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में भी सवाल पूछा। कहा कि मामले लंबित होने का बड़ा कारण ये भी है कि देशभर की अदालतों में न्यायाधीशों की कमी है। लगभग 35 प्रतिशत जजों के पद खाली पड़े हैं। इसके चलते लोगों को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।