सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के उन चार न्यायिक अधिकारियों की याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने दावा किया था कि फास्ट ट्रैक कोर्ट के पीठासीन अधिकारियों के रूप में उनकी सेवाओं को राज्य में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सिफारिश करते समय कॉलेजियम द्वारा विचार नहीं किया गया था।

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने शीर्ष कोर्ट के 2019 के एक फैसले पर भरोसा जताया, जिसमें कहा गया था कि वरिष्ठता का दावा नियुक्ति की प्रकृति, नियुक्तियां किस नियम के अनुसार की जाती हैं और नियुक्तियां कब की जाती हैं, जैसे कई कारकों पर निर्भर करेगा।

शीर्ष कोर्ट ने तब कहा था कि जब न्यायिक अधिकारियों को तदर्थ (एड-हॉक) नियुक्त किया जाता है और वे नियमित पद के खिलाफ नहीं होते हैं, तो वे फास्ट ट्रैक अदालतों की अध्यक्षता के लिए अपनी तदर्थ नियुक्तियों के आधार पर वरिष्ठता का दावा नहीं कर सकते हैं।

न्यायिक अधिकारियों ने शीर्ष अदालत में दायर अपनी ताजा याचिका में आरोप लगाया था कि 6 अक्टूबर 2023 से उनकी नियुक्ति के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में फास्ट ट्रैक के रूप में उनके द्वारा प्रदान की गई सेवा को आंध्र प्रदेश कॉलेजियम ने न्यायिक सेवा नहीं माना है।

आय से अधिक संपत्ति मामला: बीजद विधायक के खिलाफ जांच का रास्ता साफ
सुप्रीम कोर्ट ने बीजू जनता दल (बीजद) के विधायक प्रदीप कुमार पाणिग्रही के खिलाफ आय के कानूनी स्रोतों से ज्यादा संपत्ति हासिल करने की शिकायत पर ओडिशा सतर्कता विभाग द्वारा जांच का रास्ता साफ कर दिया है। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने 3 फरवरी, 2023 के फैसले को खारिज कर दिया।सतर्कता प्रकोष्ठ के पुलिस उपाधीक्षक रंजन कुमार दास की शिकायत पर राज्य लोकायुक्त द्वारा 11 दिसंबर, 2020 को पारित आदेश को ओडिशा हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था, जिसमें बीजद विधायक के खिलाफ प्रारंभिक सतर्कता (विजिलेंस) जांच का आदेश दिया गया था। राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक लोकपाल ने सतर्कता निदेशालय (कटक) को गोपालपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक पाणिग्रही के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू करने और लोकायुक्त को एक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था।