महाराष्ट्र के पुणे के कसबा उपचुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है और उसके हाथ से ये सीट निकल गई है। इस सीट को बीजेपी की पारंपरिक सीट माना जाता था लेकिन 28 साल बाद बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। बीजेपी उम्मीदवार हेमंत रासने को कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर ने 11 हजार 40 वोटों से चुनाव हराया है। कसबा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रविंद्र धंगेकर के घर के बाहर बड़ी संख्या में महाविकास आघाडी के कार्यकर्ता इकट्ठा होना शुरू हो गए हैं और जश्न की तैयारियां चल रही हैं।
बीजेपी द्वारा अपनी पारंपरिक सीट खोने पर ये कहा गया है कि इस सीट के समीकरण पर चिंतन और मंथन किया जाएगा। सीनियर बीजेपी नेता और मंत्री सुधीर मुनगंटीवार का कहना है कि बीजेपी विधायक मुक्ता तिलक के निधन के बाद अगर उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिया जाता तो परिणाम अलग होते।
उन्होंने कहा कि हम हर दिन शिवाजी के वंशज हैं, हर दिन तलवार को धार देते हैं। यानी कि चुनाव हो न हो हर दिन हम काम करते हैं, हार-जीत की बात अलग होती है। कसबा की बात सब कर रहे हैं लेकिन चिंचवड़ की बात क्यूं नहीं। एनसीपी ने खासतौर पर और अजित पवार ने तो पूरी ताकत लगा दी थी लेकिन वो कामयाब नहीं हुए।
हार-जीत तो लगी रहती है: राम कदम
बीजेपी प्रवक्ता और विधायक राम कदम ने कहा, ‘MVA को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। हार-जीत तो लगी रहती है। एक चुनाव-एक सीट हारने से BJP हार गई, ये कहना सही नहीं है। निश्चित तौर पर हम हार के कारणों का चिंतन मंथन करेंगे।
उन्होंने कहा कि कसबा सीट हमारी थी लेकिन इस बार कुछ स्थानीय समीकरण ऐसे थे, जिसके बारे में अभी कह नही सकता। लेकिन उन्हें सेलिब्रेट करने दो, एक सीट जीतकर तो वो इतने खुश हैं।