कमलापुर/सीतापुर। ब्लॉक कसमंडा के ककैयापारा गांव के किसानों ने सब्जियों की खेती से समृद्घि की नई इबारत लिख डाली है। यहां के चार किसान 500 बीघा खेत ठेेके पर लेकर सब्जियों की पैदावार कर रहे हैं। इस गांव के किसानों ने इस सीजन में एक करोड़ रुपये का मटर बेचा है। इसके अलावा बैंगन, टमाटर, लौकी, केला, करेला व खीरे की खेती यहां के किसान करते हैं।

लखनऊ-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बसे ककैयापारा गांव के किसानों ने खेती में अलग पहचान बनाई है। इस गांव में लगभग 80 मकान हैं। खेती जीविकोपार्जन का मुख्य जरिया है। किसान राजू बताते हैं कि चार भाईयों के पास 20 बीघा खेती है, आठ ट्रैक्टर व खेती में इस्तेमाल होने वाले सभी यंत्र हैं। वे बताते हैं कि पारंपरिक से हटकर सब्जियों की खेती शुरू की। मेहनत रंग लाई और अच्छा मुनाफा मिला। इसके बाद दूसरे किसानों की जमीन ठेके पर लेकर कई तरह की सब्जियों की बोआई शुरू की। आज लगभग 500 बीघा जमीन ठेके पर लेकर सब्जियों की खेती कर रहे हैं।

किसान प्रमोद जायसवाल बताते हैं कि उन्हें देखकर गांव के अन्य किसान भी ठेके पर जमीन लेकर सब्जियों की खेती करने लगे हैं। ज्यादातर बैंगन, टमाटर, लौकी, केला, मटर, करेला व खीरे की खेती की जाती है। अबकी बार मटर से ही एक करोड़ रुपया गांव में आया है। लगभग दो हजार की आबादी वाले इस गांव में 25 ट्रैक्टर हैं। हर तीसरे घर में एक ट्रैक्टर है। गांव से सात-आठ पिकअप सब्जी प्रतिदिन मंडी भेजी जाती है। किसान बराती, सुभाष व अभिषेक ने बताया कि पांच बीघा खेत एक साल के लिए 25 हजार रुपए में ठेके पर लेते हैं। यहां के किसान अनिल, फूलचंद, रजनेश, बालक, मनोज, बृजलाल, राजू रावत, प्रकाश आदि सब्जियों की खेती से अच्छा मुनाफा कमाकर गांव को समृद्घिशाली बना रहे हैं।

300 मजदूरों को मिल रहा रोजगार
किसान गुप्तार जायसवाल ने बताया हमारा गांव प्रतिदिन लगभग दौ सौ से तीन सौ मजदूरों को खेती में रोजगार उपलब्ध करा रहा है। प्रत्येक मजदूर को 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से पारिश्रमिक दिया जाता है। जब खेतों से सब्जियां टूटने लगती हैं तब मजदूरों की संख्या बढ़ जाती है।

बिहार तक जाती हैं यहां की सब्जियां
ककैयापारा की सब्जियों को प्रदेश के कई जनपदों के अलावा बिहार तक भेजा जाता है। किसानों ने बताया कि सीतापुर, लखनऊ, फैजाबाद, कानपुर, गोरखपुर के अलावा बिहार की मंडी में यहां से सब्जियां भेजी जाती हैं।