प्रधानमंत्री ने कहा, गुवाहाटी हाई कोर्ट ऐसे समय में समय में 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है, जब देश की आजादी के भी 75 वर्ष पूरे होना का जश्न मना रहा है। हमारे लिए यह अभी तक के अनुभवों को सहेजना का भी समय है और नये लक्ष्यों के लिए जवाबदेही और जरूरी बदलावों का भी महत्वपूर्ण पड़ाव है…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के प्लेटिनम जुबली कार्यक्रम में कहा कि हमारे यहां के कई कानूनी प्रावधान ब्रिटिश काल से चले आ रहे हैं। कई ऐसे कानून हैं, जो अप्रसंगिक हो गए हैं। सरकार के स्तर पर हम इनकी निरंतर समीक्षा कर रहे हैं। हमने ऐसे दो हजार केंद्रीय कानूनों की पहचान कर उनको खत्म कर दिया है। ऐसे 40 हजार से ज्यादा कंप्लांसिस को भी समाप्त कर दिया है। व्यापार के दौरान आने वाली दिक्कतों को भी दूर किया। सरकार ने केसों को करने में भी भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने कहा, टेक्नोलॉजी आज एक पॉवर टूल बनकर उभरी है। सरकार हर क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का हर संभव उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, गुवाहाटी हाई कोर्ट ऐसे समय में समय में 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है, जब देश की आजादी के भी 75 वर्ष पूरे होना का जश्न मना रहा है। हमारे लिए यह अभी तक के अनुभवों को सहेजना का भी समय है और नये लक्ष्यों के लिए जवाबदेही और जरूरी बदलावों का भी महत्वपूर्ण पड़ाव है। गुवाहाटी हाई कोर्ट की एक अलग विरासत और अपनी एक पहचान रही है। एक ऐसा हाई कोर्ट जिसका दायरा सबसे बड़ा है। असम के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश, मिजोराम और नगालैंड यानी तीन अन्य राज्यों की भी सेवा करते हैं। 2013 तक तो सात राज्यों पूर्वोत्तर के साथ राज्य आते थे। इसलिए इन 75 वर्षों के उत्सव में पूरे पूर्वोत्तर की विरासत जुड़ी हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा, 21वीं सदी में हर भारतवासियों के सपने और आकाक्षाएं असीम हैं। इनकी पूर्ति में लोकतंत्र के एक स्तंभ के रूप में हमारी सशक्त और संवेदनशील न्यायपालिका भी भूमिका भी उतनी ही अहम है। हम अपने समाज के लिए वाइब्रेंट, सशक्त और आधुनिक न्याय सिस्टम बनाएं। सपनों को पूरा करने के लिए तीनों अंगों की जिम्मेदारी है। इसके साथ ही पुराने और अनुपयोगी कानूनों को निरस्त करने की भी जिम्मेदारी है।