अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) का कहना है कि उसने हवाई अड्डे का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। इससे पहले उसने कहा था कि खार्तूम के दक्षिण में उसके एक शिविर पर हमला किया गया है।

सूडान की राजधानी खार्तूम में अर्धसैनिक बल और देश की सेना के बीच कई दिनों से जारी तनाव के बाद गोलीबारी और विस्फोटों की आवाजें सुनी गई हैं। एएफपी रिपोर्ट के मुताबिक, शहर के केंद्र में सेना के मुख्यालय के करीब गोलीबारी की आवाज सुनी गई है। उधर, धमाकों और गोलीबारी के बीच भारतीय मिशन ने भारतीयों को शरण लेने के लिए कहा गया है। अर्धसैनिक बल और सेना एक-दूसरे के ठिकानों पर हमले कर रहे हैं।

अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) का कहना है कि उसने हवाई अड्डे का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। इससे पहले उसने कहा था कि खार्तूम के दक्षिण में उसके एक शिविर पर हमला किया गया है। वहीं, सेना ने कहा है कि आरएसएफ लड़ाके सैन्य मुख्यालय पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।

समाचार एजेंसी एएफपी ने सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल नबील अब्दल्लाह के हवाले से कहा, ‘रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के लड़ाकों ने खार्तूम और सूडान के आसपास अन्य जगहों पर सेना के कई शिविरों पर हमला किया। झड़पें जारी हैं और सेना देश की सुरक्षा के लिए अपना कर्तव्य निभा रही है। रॉयटर्स समाचार एजेंसी भी प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कह रही है कि उत्तरी शहर मेरोव में गोलीबारी हुई है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अलाराबिया टीवी वहां एक सैन्य शिविर से उठते धुएं की तस्वीरें प्रसारित कर रहा है।

चीन नियंत्रित समाचार चैनल सीजीटीएन की रिपोर्ट के मुताबिक, आरएसएफ की ओर से जारी बयान में दावा किया गया है कि खार्तूम हवाई अड्डे पर नियंत्रण का दावा करने के बाद उसने राजधानी खार्तूम में राष्ट्रपति भवन को पूरी तरह से नियंत्रित कर लिया है। सेना ने अक्तूबर 2021 में तख्तापलट किया था। तबसे वह संप्रभुता परिषद के जरिए देश को चला रही है। आरएसएफ की कमान परिषद के उपाध्यक्ष जनरल मोहम्मद हमदान डागालो के पास है। जबकि, सेना का नेतृत्व जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान कर रहे हैं, जो संप्रभु परिषद के प्रमुख हैं।

सेना और आरएसएफ प्रतिद्वंद्विता राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के शासन के समय से चली आ रही है, जिन्हें 2019 में हटा दिया गया था। ताजा झड़प की वजह ये है कि सूडान की सेना का मानना है कि आरएसएफ, अर्द्धसैनिकल बल के तहत आती है और उसे सेना में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।